मेरे वीराने उपवन में, सुन्दर सा सुमन सजाया क्यों? सूने-सूने से मधुबन में, गुल को इतना महकाया क्यों? मधुमास बन गया था पतझड़, संसार बन गया था बीहड़, लू से झुलसे, इस जीवन में, शीतल सा पवन बहाया क्यों? ना सेज सजाना आता था, मुझको एकान्त सुहाता था, चुपके से आकर नयनों में, सपनों का भवन बनाया क्यों? मैं मन ही मन में रोता था, अपना अन्तर्मन धोता था, चुपके से आकर पीछे से, मुझको दर्पण दिखलाया क्यों? ना ताल लगाना आता था, ना साज बजाना आता था, मेरे वैरागी कानों में, सुन्दर संगीत सुनाया क्यों? |
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बुधवार, 11 मई 2011
"क्यों..?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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mohak bhav-pravar , bodhgamy rachana hriday ko chhuti huyi pyari lagi . sabhar sir /
जवाब देंहटाएं"मधुमास बन गया था पतझड़ -------पवन बहाया क्यूँ "
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना |बधाई
आशा
मेरे वैरागी कानों में आकर,
जवाब देंहटाएंसुन्दर संगीत सुनाया क्यों?
इन प्रश्नों के उत्तर ना ही मिलें तो अच्छा है , सुन्दर रचना बधाई
युवा -मन को समर्पित एक प्यारभरी कविता !कुछ पल ही सही हम भी युवा हो गए ---इतनी अच्छी कविता सुनाने का धन्यवाद शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंना ताल लगाना आता था,ना साज बजाना आता था,मेरे वैरागी कानों में,सुन्दर संगीत सुनाया क्यों?
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,आपकी 'क्यूँ' का जबाब तो मुझे 'ईश'
कृपा ही लगता है.अब देखिये न यदि आपके 'वैरागी कानों' में सुन्दर संगीत न सुनाई पड़ता तो आपकी सुन्दर 'ताल' और 'साज' से हम तो वंचित ही रह जाते.
लेकिन शास्त्रीजी एक बात बताईयेगा कि आपके कान वैरागी 'क्यूँ' हुए थे.क्या इसका राज हमें आप बतलायेंगे ?
गुरु जी
जवाब देंहटाएंआपने इतने दिनों बाद ये पोस्ट लगाई तो कहना चाहूँगा....
इतनी खूबसूरत रचना को पोस्ट करने में,
इतना वक़्त लगाया क्यों, इतना वक़्त लगाया क्यों
आफरीन!
बहुत अच्छा लगा पढ़कर। क्यों के सैकड़ों कौवे मन के उपवन में काँव काँव कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंमधुमास बन गया था पतझड़,
जवाब देंहटाएंसंसार बन गया था बीहड़,
लू से झुलसे, इस जीवन में,
शीतल सा पवन बहाया क्यों?
दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ! ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना के लिए बधाई!
ना ताल लगाना आता था,
जवाब देंहटाएंना साज बजाना आता था,
मेरे वैरागी कानों में,
सुन्दर संगीत सुनाया क्यों?
कोमल भावनाओं से सुरभित सुन्दर गीत !
आपकी रचना अच्छी है।
जवाब देंहटाएंआपके क्यों का उत्तर आपको हम दे देंगे लेकिन एक शर्त है कि आप हमारे ‘क्यों‘ का जवाब दे दीजिए।
इस तरह हम दोनों एक दूसरे के क्यों को हल कर देंगे।
कैसी तरकीब बताई , क्यों ?
आखि़र ‘समझदार लोग‘ भ्रष्टाचार क्यों न करें, जबकि सदाचार का बदला असीमा के पापा को कुछ भी न मिला हो, सिवाय बर्बादी और गुमनामी के ? Solution
बहुत बढ़िया रचना है.
जवाब देंहटाएंBahut khoob.
जवाब देंहटाएं............
तीन भूत और चार चुड़ैलें।!
14 सप्ताह का हो गया ब्लॉग समीक्षा कॉलम।
प्रेम रस से सराबोर कविता पढकर आनन्द आ गया।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (12-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
three days out of station hone ke kaaran yeh post der se padhi.bahut bahut khoobsurat prastuti.maja aa gaya padhkar.
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