भ्रष्ट हुए आचार-विचार! भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार!! मची हुई है हा-हाकार! अब न टिकेगा भ्रष्टाचार!! अन्ना गांधी बनकर आया, नैतिकता की आँधी लाया, बच न सकेंगे अब गद्दार! अब न टिकेगा भ्रष्टाचार!! जब ली जनता ने अँगड़ाई, मक्कारों की शामत आई, दहल गई इनकी सरकार! अब न टिकेगा भ्रष्टाचार!! लेकर आशाओं के ख्वाब, जनता का आया सैलाब, फिर से दहक उठे अंगार! अब न टिकेगा भ्रष्टाचार!! जन-जन का, जनलोकपाल हो, भ्रष्टतन्त्र के लिए काल हो, सबको हों समान अधिकार! अब न टिकेगा भ्रष्टाचार!! |
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शनिवार, 20 अगस्त 2011
"अब न टिकेगा भ्रष्टाचार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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etni sundar kaha hai
जवाब देंहटाएंbahut sundar
"शास्त्री जी! बहुत सुन्दर गीत लिखा है आपने! इतनी सुन्दर रचना आप ही लिख सकते हैं। तभी तो आपको गुरू माना है मैंने!"
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रेरक अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसमसामयिक सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंउम्मीद तो यही है।
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार समाप्त हो, सबकी आस बँधी है।
जवाब देंहटाएंकाश ऐसा ही हो ! आमीन !
जवाब देंहटाएंलेकर आशाओं के ख्वाब,
जवाब देंहटाएंजनता का आया सैलाब,
फिर से चहक उठे अंगार!
अब न टिकेगा भ्रष्टाचार!!
भ्रष्ट्राचार पर करारा प्रहार करती प्रभावशाली रचना!
आभार
बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंdr.saheb satikrachana,safalata nishchit hai
जवाब देंहटाएंdr.roopchander ji ,sahi kaha aapane, es aandhi ke aage tik hi nahi sakata sir .dhanyawad
जवाब देंहटाएंyahi dua aur ummeed ham bhi karte hain.
जवाब देंहटाएंyaha bhi aapka swagat hai.
http://anamka.blogspot.com/2011/08/blog-post_20.html
लाजवाब और सामयिक कविता।
जवाब देंहटाएंइस पंक्ति में चहक की जगह दहक पर विचार करके देखें ...
फिर से चहक उठे अंगार
लाजवाब और सामयिक कविता।
जवाब देंहटाएंइस पंक्ति में चहक की जगह दहक पर विचार करके देखें ...
फिर से चहक उठे अंगार
आपके सुन्दर उद्गार आशा का संचार करते हैं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
भक्ति,शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रकट कीजियेगा.
अन्ना हजारे के आंदोलन के पीछे विदेशी हाथ बताना ‘क्रिएट ए विलेन‘ तकनीक का उदाहरण है। इसका पूरा विवरण इस लिंक पर मिलेगा-
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत का नायक बना देती है ‘क्रिएट ए विलेन तकनीक‘ Hindi Blogging Guide (29)
जनता आशाओं के सिवाय और कर भी क्या सकती है। अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएं्समसामयिक रचना…………बहुत सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
सार्थक....
जवाब देंहटाएंअन्ना के समर्थन में और हम सबको प्रेरणा देती बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना | धन्यवाद शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना जरुर देखें |
मेरी कविता: उम्मीद
जन-जन का, जनलोकपाल हो,
जवाब देंहटाएंभ्रष्टतन्त्र के लिए काल हो,
सबको हों समान अधिकार!
अब न टिकेगा भ्रष्टाचार!!
..yahi to saari trast janta kee hasrat hai..
bahut badiya samyik prerak prastuti..aabhar!
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जवाब देंहटाएंaamiin
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar, aabhar.
सुंदर गीत
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