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मेले में सबसे अधिक, बिके चाट मिष्ठान ।
जवाब देंहटाएंगुरूद्वारे की शरण में, करें सभी उत्थान ।
करें सभी उत्थान, मौज मस्ती का खेला ।
घंटे बीते चार, छूट सब जाय झमेला ।
ठोकर लग ना जाय, नहीं पब्लिक को ठेलें ।
घुटने में है चोट, घूमते क्यूँकर मेले ??
शुभकामनायें-
शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें -
मेले का मजा मिल गया आपकी कविता में।
जवाब देंहटाएंबहुत सु्न्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 26-11-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत हि सुंदर रचना ……
जवाब देंहटाएंनानकमत्ता गुरूद्वारा कहां पर है जी
जवाब देंहटाएंचित्रमय सु्न्दर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंदर्शन किया बारंबार
जवाब देंहटाएंबनी रहे आपकी सक्रियता साकार
तस्वीरों के साथ दर्शन का मज़ा आ गया ....
जवाब देंहटाएंमेलों का अपना अलग ही आकर्षण होता है -खासतौर से जहाँ सिल-बट्टा ,इन्द्रजाल और चाट जैसी चीजें हो .
जवाब देंहटाएंवाह अनुपम भाव संयोजित किये है आपने इस अभिव्यक्ति में ...
जवाब देंहटाएंसादर आभार
जवाब देंहटाएंमेले का काव्यात्मक वृत्तांत हाईगु पे भारी है ,
शास्त्री की फुलवारी है .
दर्शन कर लो बारंबार—गुरुपर्व के दर्शन हो गये.धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंsundar mahimaa baabe dee!
जवाब देंहटाएंमेले की धूम ....सार्थक प्रस्तुति ....!!
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