काम तो हमारे हैं, नाम तो तुम्हारा है पाँव तो हमारे हैं, रास्ता तुम्हारा है लिख रहे हैं प्यार की इबारत को प्यार से बोल तो हमारे हैं, कण्ठ तो तुम्हारा है टूटी पतवार लिए, लहरों से जूझ रहे दूर ही किनारा है, आपका सहारा है दिल में झाँककर जरा, इक नज़र तो देखिए आइना तुम्हारा है, अक्स तो हमारा है दिख रहे हैं दोबदन, किन्तु एक है सुमन "रूप" तो हमारा है, प्राण तो तुम्हारा है |
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शुक्रवार, 9 नवंबर 2012
“लहरों से जूझ रहे” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दिख रहे हैं दोबदन, किन्तु एक है सुमन
जवाब देंहटाएं"रूप" तो हमारा है, प्राण तो तुम्हारा है
दिख रहे हैं दोबदन, किन्तु एक है सुमन
"रूप" तो हमारा है, प्राण तो तुम्हारा है
अखिलेश भाई और उनके नेता (पिता जी )पे भी सटीक बैठतीं हैं ये पंक्तियाँ .बधाई बढ़िया संबोधन उद्बोधन के लिए .चर्चा मंच पर थोड़ी
देर में पहुँच रहा हूँ .अब कनेक्टिविटी नार्मल हुई है .तीन दिन नए नए जुगाड़ करके .
आइना तुम्हारा है, अक्स तो हमारा है--
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDAR KAVYA
बढ़िया संबोध- दिल में झाँककर जरा, इक नज़र तो देखिए
जवाब देंहटाएंआइना तुम्हारा है, अक्स तो हमारा है
किनारों पर सहारा..वह भी आपका..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंआइना तुम्हारा है, अक्स तो हमारा है--
जवाब देंहटाएंRECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
काम तो हमारे हैं, नाम तो तुम्हारा है
जवाब देंहटाएंपाँव तो हमारे हैं, रास्ता तुम्हारा है
जेब बस तुम्हारी है ,माल सब हमारा है ,
तंत्रप्रजा को बस आम जन का सहारा है .
क्या बात है शास्त्री जी इस रचना के विविध आयाम हैं .
बहुत बढ़िया .....
जवाब देंहटाएंगहरे अर्थ समेटे -सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachana ... abhaar
जवाब देंहटाएंsunder rachna mayank daa
जवाब देंहटाएंaabhaar
बहुत सुन्दर रचना....आभार !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...सादर
जवाब देंहटाएं