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गुरुवार, 8 नवंबर 2012
"वह फरिश्ता कौन था?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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es kisse ko padh kar bs yahi kahugi ki ese kahate hai"prabhu aur uski kripa" jo ek adrishya sakti ke roop me sarv kalik evm sarv sthanik hai,yah shraddha ka vishy hai,atma aur hriday ki anubhuti hai,
जवाब देंहटाएंबढ़िया संस्मरण |
जवाब देंहटाएंभली सीख ||
आभार गुरुदेव ||
ईश्वर का करिश्मा
जवाब देंहटाएंआखिर वह फरिश्ता कौन था?
जवाब देंहटाएंकई बार ऐसा हो जाता है ...
करिश्मा ही कहेंगे ...
जवाब देंहटाएंवो अपने आप को साबित कर देता है अब ये हम पर है हमने उसे जाना या नहीं।
जवाब देंहटाएंप्रार्थना में गहनता रही।
जवाब देंहटाएंकिसी पर श्रद्धा हो या न हो परन्तु किसी का मजाक उड़ाना ठीक नहीं होता है।,,,,,
जवाब देंहटाएं"आपकी प्रार्थना को मजार वाले बाबा ने सुन ही ली,,,,,
दुआएं सब को देते हैं किसी से कुछ नही लेते ,
जवाब देंहटाएंखुदा का ख़ास इक इनाम हैं ये औलिया.
आपने जो लिखा ये क्या है ? इसका जवाब वही है जब आपकी गाड़ी खराब हुई उस वक्त आपके ज़हन में आया था.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
छायांकन के साथ दोस्त भाषा शैली में भी निखार आया है वर्तनियाँ भी परिशुद्ध होतीं गईं हैं कालान्तर में हालाकि मूलतया आप छायाकार हैं फिर भी बस खड़ा .चढ़ा ,आदि के नीचे बिंदी और जड़ दिया
जवाब देंहटाएंकरें .आपकी टिप्पणियाँ हमारे लेखन को भी अनुप्राणित करती हैं बिंदास लिखते हो दोस्त जाट की तरह सब कुछ पारदर्शी .शुक्रिया .
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी .
आप सुनिश्चित हैं आपकी कार वाकई खराब हुई थी .कई बार यह घटनाएं मानसी सृष्टि भी होती हैं .और फिर विश्वास भी अफवाह की तरह संक्रामक चीज़ है फैलता है कही सुनी के आधार पर .
इसीलिए कहते हैं कि श्रद्धा के स्थान पर कभी अश्रद्धा नहीं जतानी चाहिए। ऐसे ही एक बार हमारे साथ भी हुआ था।
जवाब देंहटाएंतभी तो अहसास होता है की भगवान भारत में ही बसते हैं...
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