इक हादसे में उनसे मुलाकात हो गयी। रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।। देखा उन्हें मगर न कोई बात कर सके, केवल नजर मिली, नजर में बात हो गयी। रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।। वो भी थे बेकरार और हम भी थे गरजमन्द, दोनो के लिए प्रेम की सौगात हो गयी। रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।। इक दूजे के जज्बात दोनो तोलते रहे, हम डाल-डाल थे वो पात-पात हो गयी। रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।। खाई थी खेल में उन्होंने शह हजार बार, जब अन्त आ गया तो मेरी मात हो गई। रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।। धूप-छाँव के चले थे सिलसिले बहुत, मंजिल के बीच में ही तो बरसात हो गई। रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।। साया तलाशते रहे हम तो तमाम दिन, केवल इसी उधेड़-बुन में रात हो गई। रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।। आँखें खुली हसीन ख्वाब टूट गया था, सूरज चढ़ा हुआ था और प्रात हो गई। रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।। |
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सोमवार, 7 मई 2012
"उनसे मुलाकात हो गयी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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साया तलाशते रहे हम तो तमाम दिन,
जवाब देंहटाएंकेवल इसी उधेड़-बुन में रात हो गई।
रोज-रोज मिलने की शुरूआत हो गई।।
वाह...बहुत अच्छी लाजबाब प्रस्तुति,....
लीक से हट कर लिखना मुझे अच्छा लगा,.बधाई
RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
आँखें खुली हसीन ख्वाब टूट गया था,सूरज चढ़ा हुआ था और प्रात हो गई।
जवाब देंहटाएं....वाह!...क्या बात हो गई!
बहुत ही अच्छा, मिलने जुलने का क्रम यूँ ही बना रहे।
जवाब देंहटाएंलाजबाब प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत अच्छी प्रस्तुति,....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत शास्त्री जी ...
जवाब देंहटाएंइक रात जिंदगी से मुलाक़ात हो गयी......!!
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत अच्छी लाजबाब प्रस्तुति,....
जवाब देंहटाएंalag andaz.....achchi lagi.
जवाब देंहटाएंअपनी इस सुन्दर रचना की चर्चा मंगलवार ८/५/१२/ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर देखिये आभार
जवाब देंहटाएंaapki rachnaao ki mureed ye saari kaaynaat ho gayee!
जवाब देंहटाएंmeri nayi post pe aapke ashirwaad ka intezaar hai!
बहुत अच्छे लेख/कविताएं/विचारोत्तेजक निबन्ध आप लाखे आ रहे हैं, मैं आश्चर्य करता हू कि इतना लेखन कार्य आप कब और कैसे कर लेते हैं, साथ ही हम सब की तथा सरकार की खबर भी लेते रहते हैं? साधुवाद.
जवाब देंहटाएंयह तो सपने की बात हो गई :}
जवाब देंहटाएंबढ़िया .........