घर की वाटिकाओं में हमको, सब्जी-शाक उगाना है। शोषण और कुपोषण से, खुद बचना और बचाना है।। गैया-भैंसों का हमको लालन-पालन करना होगा, अण्डे-मांस छोड़कर, हमको दूध-दही अपनाना है। शोषण और कुपोषण से, खुद बचना और बचाना है।। छाछ और लस्सी कलियुग में अमृततुल्य कहाते हैं, पैप्सी, कोका-कोला को, भारत से हमें भगाना है। शोषण और कुपोषण से, खुद बचना और बचाना है।। दाड़िम और अमरूद आदि, फल जीवन देने वाले हैं, आँगन और बगीचों में, फलवाले पेड़ लगाना है। शोषण और कुपोषण से, खुद बचना और बचाना है।। मानवता के हम संवाहक, ऋषियों के हम वंशज हैं, दुनिया भर को फिर से, शाकाहारी हमें बनाना है। शोषण और कुपोषण से, खुद बचना और बचाना है।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 28 मई 2012
"फल जीवन देने वाले हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
बहुत सुंदर......
जवाब देंहटाएंबेहद नेक सलाह.....
सादर.
सुंदर प्रस्तुति,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
एकदम सही कहा है
जवाब देंहटाएंशाकाहारी चीजे ही गुणकारी और लाभकारी
होती है..
बेहतरीन सन्देश देती रचना...
वाह वाह वाह शिक्षाप्रद सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइसी तरह देश का विकास संभव है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया ... आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर........
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया जानकारी दी है आपने...आभार!
जवाब देंहटाएंहमने तो अपनी बगिया में फल सब्जियां लगायीं हैं ..:)
जवाब देंहटाएंsundar v sarthak sandesh preshit karti rachna .aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सोच ..और समाज से सराकोर रखती हुवी...और रचना भी उतनी ही प्यारी
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सोच .. प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढिया ...
जवाब देंहटाएंkhoobsoorat rachna guru jee!
जवाब देंहटाएंक्रोध वासना दंभ ने, दीन्हे कष्ट बढ़ाय |
जवाब देंहटाएंमन निर्मल सात्विक बने, शाकाहार उपाय ||
सब से अच्छा भोज है,भैया शाकाहार|
जवाब देंहटाएंदूध और फल,शाक से होगा युग- उद्धार||