आज देश में उथल-पुथल क्यों,
क्यों हैं भारतवासी आरत?
कहाँ खो गया रामराज्य,
और गाँधी के सपनों का भारत?
आओ मिलकर आज विचारें,
कैसी यह मजबूरी है?
शान्ति वाटिका के सुमनों के,
उर में कैसी दूरी है?
क्यों भारत में बन्धु-बन्धु के,
लहू का आज बना प्यासा?
कहाँ खो गयी कर्णधार की,
मधु रस में भीगी भाषा?
कहाँ गयी सोने की चिड़िया,
भरने दूषित-दूर उड़ाने?
कौन ले गया छीन हमारे,
अधरों की मीठी मुस्काने?
किसने हरण किया धरती का,
कहाँ गयी केशर क्यारी?
प्रजातन्त्र की नगरी की,
क्यों आज दुखी जनता सारी?
कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
माता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
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"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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बुधवार, 22 मई 2013
"कहाँ गयी केशर क्यारी?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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किसने लूटा वैभव अपना।
जवाब देंहटाएंसटीकता को प्रदर्शित करती सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंकौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
जवाब देंहटाएंमाता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
सुन्दर रचना शास्त्री जी ! किसी भी कोने पे नजर दौडायेंगे तो ऐसे बहुतेरे राक्षस नजर आ जायेंगे !
कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
जवाब देंहटाएंमाता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
अदभूत .... राष्ट्र प्रेम से छलक़ती हुई दिल को छूनेवाली रचना
चारों ओर अब तो लुटेरे ही लुटेरे दिखते हैं ………सार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश देती,सटीकता को प्रदर्शित करती सुन्दर रचना,आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक रचना,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: जनता सबक सिखायेगी...
बहुत सारे ऐसे प्रश्न हैं जिनका समाधान ढूंढना होगा।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ..आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
गुरु जी को प्रणाम
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक रचना प्रेरणात्मक ,जागरूक करती हुई
बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुति!! मेरा पोस्ट ' देश की आवाज बन सकते हैं हम 'भी पढ़े plz
जवाब देंहटाएंप्रणाम मयंक जी , सभी अनसुलझे सवाल और देश के हालात एक साथ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
राक्षस भी उत्तरदायी, किंतु वे देव और मानव भी कहां कम दोषी, जो बहते रक्त को वक्त रहते रोकते नहीं... जो घाव को देखते हैं, खुद पर सीधा असर न हो, तो अनदेखा करते हैं, सीधा असर हो तो अक्सर सहन करते हैं...
जवाब देंहटाएंबुरा जो देखन मैं चला...
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (24-05-2013) को "ब्लॉग प्रसारण-5" पर लिंक की गयी है. कृपया पधारे. वहाँ आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंसच में आज देश की हालत पतली हो गई :(
जवाब देंहटाएंआदरणीय आपकी यह कलापूर्ण रचना निर्झर टाइम्स पर 'विधाओं की बहार...' में संकलित की गई है।
जवाब देंहटाएंकृपया http://nirjhar.times.blogspot.com पर अवलोकन करें।आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
सादर