मित्रों!
कल मातृदिवस था,
लेकिन नेट की समस्या के चलते
यह रचना पोस्ट नहीं हो पायी थी।
आप सबको मातृदिवस की
शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ..!
जीवन देने वाली जननी, माता तुझको नमन हमारा।
माता नहीं कुमाता होती, माँ को उसका बालक प्यारा।।
तूने उच्चारण सिखलाया, रिश्ते-नातों को बतलाया,
खुद गीले में सोयी, लेकिन सूखे में था हमें सुलाया.
गणपति की तुम पार्वती हो, तुमसे तो विधना भी हारा।
माता नहीं कुमाता होती, माँ को उसका बालक प्यारा।।
कितने ही युग बदले लेकिन, बदल न पायी माँ की ममता,
बेटा हो या चाहे बेटी हो, माँ रखती दोनों में समता,
जीवनभर बालक को देती, उसकी माता सदा सहारा।
माता नहीं कुमाता होती, माँ को उसका बालक प्यारा।।
प्रथम गुरू हो तुम बालक की, जगदम्बा की तुम हो मूरत,
रची हुई है-बसी हुई है, सबके मन में माँ की सूरत,
हमें सजाया और सँवारा, माँ ने मेरा “रूप” निखारा।
माता नहीं कुमाता होती, माँ को उसका बालक प्यारा।।
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गुरुवार, 9 मई 2013
"मातृदिवस की शुभकामनाएँ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए शनिवार 11/05/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
ma ka sundar chitran ma ki mahima anat ahi,
जवाब देंहटाएंचित-प्रकृति की कृपा और यह गौरव पा कर माँ स्वयं भी धन्य होती है -आपका आभार !
जवाब देंहटाएंमाँ की महिमा का अच्छा चित्रण !
जवाब देंहटाएंlatest post'वनफूल'
latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
नारी का ये आराध्य रूप है...परन्तु हाल की कुछ घटनाएं व्यथित कर देने वालीं हैं...शायद आज लोग अपनी माँ, बहन, बेटी और बीवी से प्यार नहीं करते...अन्यथा देश को शर्मसार कर देने वाली ऐसी घटनाएं नहीं होतीं...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चित्रण,आपका सदर आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंजननी को जो पूजता , जग पूजै है सोय |
महिमा वर्णन कर सके, जग में दिखै न कोय ||
माँ तो जग का मूल है, माँ में बसता प्यार |
मातृ-दिवस पर पूजता, तुझको सब संसार||
माँ कि उस महिमा का सुन्दर चित्रण किया है जो हमारे हदय के अंदर बसी हुयी है लेकिन हम इन एक दिवसीय दिवसों में कोई यकीन नहीं करते !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चित्रण माँ का... सुंदर प्रस्तुति!!धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंमाँ की महिमा का सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएंमाँ की महिमा बखानती सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआशा
आपको भी मातृदिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंमाँ का सच्चा स्वरूप वर्णन किया है आपने, सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी कविता .....
जवाब देंहटाएंमाँ के बारे में बिलकुल सही लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता .....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव शास्त्री सर!
जवाब देंहटाएंमगर जहाँ तक हमें पता है, आप ने कोई देरी नहीं की ... 'मातृ दिवस' तो रविवार १२ मई को है! :-)
~सादर!!!
प्रथम गुरू हो तुम बालक की, जगदम्बा की तुम हो मूरत,
जवाब देंहटाएंसच कहा है मित्र, कुरान शरीफ में कहा गया है-माता पहली मुअल्लामा(गुरु) है |
रची हुई है-बसी हुई है, सबके मन में माँ की सूरत,
जवाब देंहटाएंहमें सजाया और सँवारा, माँ ने मेरा “रूप” निखारा।
माता नहीं कुमाता होती, माँ को उसका बालक प्यारा।।
भावमय करते शब्द .... अनुपम प्रस्तुति
सादर
माँ बस माँ होती है ......सब माताओ को नमन ............बहुत सुन्दर प्रस्तुति .......
जवाब देंहटाएंअति उत्तम प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं:-)
माँ का सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएं