गैस सिलेण्डर कितना प्यारा।
मम्मी की आँखों का तारा।।
रेगूलेटर अच्छा लाना।
सही ढंग से इसे लगाना।।
गैस सिलेण्डर है वरदान।
यह रसोई-घर की है शान।।
दूघ पकाओ-चाय
बनाओ।
मनचाहे पकवान बनाओ।।
बिजली अगर नहीं है घर में।
यह प्रकाश देता पल भर में।।
बाथरूम में इसे लगाओ।
गर्म-गर्म पानी को पाओ।।
बीत गया है वक्त पुराना।
अब आया है नया जमाना।।
कण्डे-लकड़ी अब मत लाना।
बड़ा सहज है गैस जलाना।।
किन्तु सुरक्षा को अपनाना।
इसे कार में नही लगाना।
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बुधवार, 29 मई 2013
"गैस सिलेण्डर है वरदान" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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एक सुन्दर सन्देश के साथ लुभावनी कविता
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ढ़ंग से फायदा-नुकसान समझाया है.
जवाब देंहटाएंBadhiya prastuti !
जवाब देंहटाएंअनुभूति : विविधा -2
सार्थकता लिये सशक्त अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंक्या खूब सिलेंडर महिमा है!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना 31-05-2013 को http://blogprasaran.blogspot.in पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गुरु जी
जवाब देंहटाएंप्रणाम
आपकी सिलिंडर महिमा का जवाब नहीं
गैस सिलिंडर पर सुंदर गीत के लिए बधाई.......
जवाब देंहटाएंकाजल का टीका लगा,नज़र नहीं लग जाय
भागवान आ शीघ्र तू ,मन सबका ललचाय
मन सबका ललचाय ,देख कर इसकी लाली
आयेगी ना नींद , करत इसकी रखवाली
बिना सिलिंडर रंग , रसोई- घर का फीका
नज़र नहीं लग जाय,लगा काजल का टीका
आदरणीय आपका यह सिलेण्टर गीत 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गया है।
जवाब देंहटाएंकृपया http://nirjhar-times.blogspot.com पर पधारें,आपकी प्रतिक्रिया का सादर स्वागत् है।