आज फिर से दग़ा किया उसने
दर्द दिल में जगा
दिया उसने
फिर से इन्सानियत
के चेहरे पे
दाग़ काला लगा
दिया उसने
राहे-हक़ के हसीन ग़ुलशन में
नया काँटा उगा
दिया उसने
पीठ पर वार करके
भाले से
शेर सोता जगा दिया
उसने
भाईचारे की शाख
टूट गयी
दोस्ती को भगा
दिया उसने
आज फिर ज़ुल्म की इबारत
में
नाम अपना लिखा
दिया उसने
तोड़ कर सब
रवायतें-रस्में
“रूप” असली दिखा
दिया उसने
|
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गुरुवार, 2 मई 2013
"दर्द दिल में जगा दिया उसने" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत ही कायराना हरकत है पाक की ............
जवाब देंहटाएंबहुत सही और सटीक रचना .आभार...मेरी नई पोस्ट .." माँ का आंचल " अभिव्यंजना में ..".मेरा भैया" बाल मन की राहें में आप का स्वागत है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तियां हैं, हर आम आदमी के अन्दर की उद्वेलित भावनाओं को प्रदर्शित कर रही हैं.
जवाब देंहटाएंदुखद
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा है |बढ़िया रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
मध्ययुगीन बर्बरता..
जवाब देंहटाएंबहुत ही दुखद घटना....
जवाब देंहटाएंसरबजीत की मौत ने बहुत कुछ सीखा दिया है
जवाब देंहटाएं