नेताओं का बदल गया है, धर्म और ईमान,
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मंगलवार, 7 अप्रैल 2009
"ये है मेरा हिन्दुस्तान।" (डा0 रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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तन भी काला, मन भी काला, काली सब करतूतें,
जवाब देंहटाएंबिना गिने मारो, ऐसे नेताओं को चप्पल-जूते,
करना मत इनका सम्मान,
मत करना इनका गुणगान,
ये है मेरा हिन्दुस्तान।
sun sun kar tumhari kavita.
ro-ro karati rahti sarita,
kahti hai upar to dekho,
paida karke in logo ko,
aaj pachhta ta hai bhagvan.
aapne netaon ko chappal jute marne ko kaha hai aur aaj hi tv par dekh liya hai......kya baat hai aapki baat ki to badi door tak sunwayi ho rahi hai.
जवाब देंहटाएंऔर कोई उपाय भी तो नही दिखाई देता शाश्त्री जी.
जवाब देंहटाएंरामराम
अमर शहीदों के ताबूतों में, खाता रिश्वतखोरी,
जवाब देंहटाएंचारे के बदले में भरता जाता, बड़ी तिजोरी,
बिलकुल सही तस्वीर दिखाई आपने.
शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंयह कविता दास्तान या व्यंग नही हे,
हकीकत बयान करती है।
हिन्दोस्तान के हालात का
जवाब देंहटाएंअच्छा चित्र खीचा है।
बधाई।
KAVITA KA EK-EK SHABD SAHI HAI.
जवाब देंहटाएंAAP GADYA AUR PADYA DONO ACHHA LIKHTEN HAIN. SIR JI.......
ACHHA KARARA VYANG KIYA HAI SIR.
जवाब देंहटाएंBADHAI.
Dhak jama di YAAR.
जवाब देंहटाएंLage Raho...
बहुत बढिया ...बधाई।
जवाब देंहटाएं