आज राजनीति के बाजार में भी कई तरह के नेतारूपी फैवीकोल छाये हुए हैं। जिन्होंने असली को भी पीछे छोड़ दिया है। परन्तु गुणवत्ता और क्रेज में पुराने नेतारूपी फैवीकोल का आज भी कोई सानी नही है। अब जनता को ही अपना फैसला सुनाना हैं कि- वह असली को पसन्द करती है या नकली को। बहरहाल नये और पुराने सभी में से एक से एक अच्छा और नायाब फैवीकोल राजनीति के बाजार में छाया हुआ है। कुछ ने तो ऊँची-ऊँची कुर्सियों पर इसे लगाना भी शुरू कर दिया है। जिससे कि वो मजबूती के साथ मन-माफिक कुर्सी से चिपक जायें। बेचारे चिदम्बरम ने तो इसके कारण जूते का स्वाद भी चख लिया है। उनके साथ जरनैल सिंह-जूतेवाला का नाम भी हमेशा के लिए अमर हो गया है। एक पत्रकार ने एक जूता उछालने पर माल व माया दोनों कमा ली हैं।मरता क्या न करता, करनी का फल तो भोगना ही पडता है। बेचारे चिदम्बरम ने भी फैवीकोल की महिमा को पहचान कर इसे माफ भी कर दिया है। भैया! सब फैवीकोल का ही कमाल है। |
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गुरुवार, 9 अप्रैल 2009
"गप-शप" भैया! सब फैवीकोल का ही कमाल है। (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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आपके विचारों से सहमत नहीं...
जवाब देंहटाएंभाई आशीष कुमार ‘अंशु’ जी!
जवाब देंहटाएंमैंने ‘गप-शप’ लिखी है।
इसमें सहमति और असहमति का
कोई प्रश्न ही नही उठता है।
वैसे भी ‘गप-शप’ से कौन सहमत होता है?
भैया! सब फैवीकोल का ही कमाल है।
वाह शाश्त्री जी, बेहतरीन गपशप रही ये तो.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हा हा हा :)
जवाब देंहटाएंगपशप अच्छी है
आप से एक बात कहनी थी ...कृपया ये बेक्ग्रौंद से चमकीला नीला और ये लिखा हुआ रेड कलर हटा सके तो ज्यादा बेहतर होगा ...चूंकि ये ब्लू ए रेड कलर आँखों में चुभता है
भैया गप-शप हो या सच-मुच! कमाल तो फेविकाल का ही है इस काल में:)
जवाब देंहटाएंaap achchi gapshap kar lete hain.
जवाब देंहटाएं