नज़र से नज़र की मुलाकात होगी,
इशारों इशारों में जब बात होगी।
वो जुल्फ़ो को अपनी विखेरेंगे जब-जब,
घटाओं से घिर-घिर के बरसात होगी।
लवों पर तबस्सुम की हल्की सी जुंबिश,
हंसी शोख चंचल सी इक बात होगी।
बढ़ेगी फिर उनसे मोहब्बत यहाँ तक,
मिलन की फिर उनके शुरूआत होगी,
वो शरमा के जब अपने लब खोल देंगे,
मोहब्बत के फूलों की बरसात होगी।
वो चल तो दिये दिल में तूफाँ उठाये,
फिर ‘बदनाम’ से कब मुलाकात होगी।
बहुत खूबसूरत गजल. पढवाने के लिये आपका आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.