श्यामल ‘सुमन’ जी के ब्लॉग की प्रार्थना पोस्ट पर मैंने अपनी इस कविता की कुछ पंक्तियों से टिप्पणी की थी। लेकिन टिपियाने वालों ने उनकी कविता के बदले में मेरी टिप्पणी को ही वाह-वाही से टिपियाना शुरू कर दिया। बस इसी प्रेरणा से अभिभूत होकर यह पूरी कविता अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कर रहा हूँ।
मुझको वर दे तू भगवान,
मेरा कर दे तू उत्थान।
जो मानवता के भक्षक हैं,
उनका मत करना सम्मान।
नेता बने हुए अभिनेता,
ढोंग दिखावा जिनका काम।
वोट माँगने तेरे घर में,
आयेंगे पाजी शैतान।
लोकतन्त्र के मक्कारों को,
देना मत कोई ईनाम।।
नोटों के बदले में अपना,
नही बेचना तू ईमान।
माला के बदले में इनके,
सिर पर करना जूते दान।
विनती सुन ले दयानिधान,
इनका मत करना कल्याण।
waah waah..........bahut khoob.
जवाब देंहटाएंbada karara tamacha hai vandana ke roop mein.
sunder samyik rachna.
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक कविता रची आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत बढिया व सामयिक रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंनेताओं की जो बनाई है रेल
जवाब देंहटाएंभ्रष्टता से कर दिया है मेल
इन्हें मिलनी चाहिए ऐसी जेल
जिसमें होती न हो कभी बेल
नेताओं की जब लगेगी सेल
अभिनेता उसमें बिकेंगे गेल
भगवान आपकी प्रार्थना अवश्य सुनेंगे!
जवाब देंहटाएंवाह वाह डाक्टसाब....
जवाब देंहटाएंबहुत सही प्रतिक्रिया है एक सच्चे नागरिक की।
और हां...आपने इसे यहां लगाकर अच्छा किया वर्ना पता नहीं कब हमारी इस पर नज़र पड़ती।
माला के बदले में इनके,सिर पर करना जूते दान।
जवाब देंहटाएंविनती सुन ले दयानिधान,इनका मत करना कल्याण।
bhut khub....kya bat hae