माया और मेनका, एक सिक्के के दो पहलू।
एक राशि, एक लक्ष्य और दोनों ही शक्तिशाली महिलायें।
यह कैसा संयोग है कि एक दूसरे को दोनों ही,
फूटी आँख भी नही सुहाती।
बलि का बकरा वरुण को बनाया गया।
माया की एक छोटी सी भूल ने,
वरुण को अन्तर्राष्ट्रीय नेता बना दिया।
कहाँ गये माया जी! आपके दिग्गज सलाहकार?
इस भूल पर तो आपको पछताना ही होगा।
आपके तो विधायक और मन्त्री तक कातिल बने,
जेल की सलाखों के पीछे हैं।
क्या उनसे भी बड़ा था गुनाह वरुण गांधी का था?????
बड़ी मसूमियत से प्रश्न को उछाला है।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी!
मयंक जी!
जवाब देंहटाएंपानी का तैराक पानी मे ही डूब जाता है।
सच्ची बात।
जवाब देंहटाएंअच्छी बात।
बधाई।
गल्ती माया की,
जवाब देंहटाएंखमियाजा भरना पड़ेगा।
राजनीति की गोटी उलटी फिट हो गयी।
जवाब देंहटाएंगल्ती गले की हड्डी बन गयी।
शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंये गप नही है,
सच्ची बात मन को भा गयी।
मुबरकवाद।
यह रहस्य गूढ़ तो न थे पर रचना बन गये बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंbechare varun ? apane bayan par bhi kayam nahi hai. kahte hai" maine ye bayan diya hi nahi. to varun hame ye batao sach me apne kya kaha hai tumhari to na ugalte banti hai na nigalte.beta bali ka bakra bana diya tumhe. ab tumhara hal pramod mahajan ke bete rahul jaisa hoga.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बात कही है ...
जवाब देंहटाएंshastri ji
जवाब देंहटाएंmain bhi bahut dino se yahi soch rahi thi ki varun ko to bali ka bakra banaya gaya hai aur aaj aapne wo hi baat kavita mein kah di.
bahut sadgi se aapne ek satya ko ujagar kiya hai...........vaise yahi rajniti hai jahan apne matlab ke liye kuch bhi kiya ja sakta hai.