करुणा बिन करुणत्व अधूरा लगता है। रचना बिन अस्तित्व अधूरा लगता है।।
जीवन का ये ही है रोना, प्रियतम बिन अपनत्व अधूरा लगता है। करुणा बिन करुणत्व अधूरा लगता है।।
लील रहा मासूम जवानी, जीवन बिन दायित्व अधूरा लगता है। करुणा बिन करुणत्व अधूरा लगता है।।
सुख का ठौर ठिकाना लगता, ममता बिन मातृत्व अधूरा लगता है। करुणा बिन करुणत्व अधूरा लगता है।। |
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शनिवार, 25 अप्रैल 2009
"ममता बिन मातृत्व अधूरा लगता है।" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ममता बिन मातृत्व अधूरा लगता है।
जवाब देंहटाएंकरुणा बिन करुणत्व अधूरा लगता है।।
बहुत सुंदर बात कही आपने.
रामराम.
bahut sundar shabd sanyojan........aur utni hi sundar kavita.
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhav
जवाब देंहटाएंकरुणा बिन करुणत्व अधूरा लगता है।
जवाब देंहटाएंरचना बिन अस्तित्व अधूरा लगता है।।
mayank ji,
sunder geet ke liye badhayee.
शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गीत के लिए,
मुबारकवाद।
सुन्दर भाव,
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द,
सुन्दर गीत,
बधाई।
CHHAND-BADDH, LAY-BADDH,
जवाब देंहटाएंBADHIA GEET.
SHUBHKAMNAYEN.
बहुत सुंदर,
जवाब देंहटाएंबधाई।