जिसके बारे में स्थान बताते हुए उसका नाम बताना था।
इसका सही उत्तर था-
इस पर 5 ब्लॉगर्स के सही उत्तर प्राप्त हुए थे।
सबसे पहले स्थान पर रहे-
दूसरे स्थान पर रहीं
माननीया वन्दना अवस्थी दूबे।
तृतीय स्थान पर रहे जाने माने ब्लॉगर
सर्व श्री समीर लाल (उड़न-तश्तरी)।
उपरोक्त को साक्षात्कार के प्रश्न शीघ्र ही प्रेषित किये जायेंगे।
आशा है कि आप सब मेरा
यह निमन्त्रण स्वीकार करने की कृपा करेंगे।
प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने
वालों को साहित्य शारदा मंच,खटीमा की ओर से
साहित्य-श्री
की सर्वोच्च उपाधि से अलंकृत किया जायेगा।
सही उत्तर देने वाले चौथे और पाँचवें ब्लॉगर्स
सर्व श्री ताऊ रामपुरिया
और श्री रावेंद्रकुमार रवि रहे।
उच्चारण की ओर से मैं डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
सही उत्तर देने वाले इन सब ब्लॉगर्स को
हार्दिक बधायी प्रेषित करता हूँ ।
सभी को बहुत बधाई और आपका आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आपको भी बधाई।
जवाब देंहटाएं-----------
मॉं की गरिमा का सवाल है
प्रकाश का रहस्य खोजने वाला वैज्ञानिक
श्रीमान जी, साहित्य श्री साम्मान का स्तर इतना मत गिराईये कि एक पहेली के जवाब मे बंटने लग जाये. आगे आपकी मर्जी.
जवाब देंहटाएंबेनामी जी।
जवाब देंहटाएंइतना भी बता दें कि क्या ये तीन लोग आपकी नजर में साहित्यकार नहीं हैं।
भइया।
मेरी लिस्ट में तो ये साहित्यकार ही हैं।
सोच-समझकर ही यह निर्णय किया गया है।
"इतना भी बता दें कि क्या ये तीन लोग आपकी नजर में साहित्यकार नहीं हैं।"
जवाब देंहटाएंjee haan yae teen log saahitykaar nahin haen blogger haen
blog aur saahity do alag alag vidha haen .
anaam kaemnt mera nahin haen yae bhi kehddena jaruri haen
जवाब देंहटाएंविजेताओं को बहुत बहुत बधाई ..
जवाब देंहटाएंबधाई आशीष भाई... और अन्य विजेताओं को भी।
जवाब देंहटाएं---
तकनीक दृष्टा
शास्त्री जी का आभार एवं विजेताओं को बधाई.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, मेरी मानों तो आप इन झंझटों में मत पडो.
जवाब देंहटाएंअब ये बताइए कि अगली पहेली मेरा मतलब माथापच्ची कब छाप रहे हैं?
वाह वाह रचना जी!
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी पर तो आपको साहित्य-श्री के अतिरिक्त जो भी सम्मान हो वह दे देना चाहिए।
मैं इस व्यर्थ की चर्चा को
आगे बढ़ाना नही चाहता था।
परन्तु आपने प्रेरित किया है या यों कहिए कि स्वाभिमान को ललकारा है,
तो मुझे अलग से इस पर एक पोस्ट लगानी पड़ेगी।
हर्ज ही क्या है ?
एक खुली बहस तो हो ही जायेगी।
अरे, आप तो Comment की वर्तनी भी
अशुद्ध लिखती हैं।
फिर आप ब्लागर को साहित्यकार
कब स्वीकार करने वाली हैं।
एक बार फिर बता दीजिए कि
हिन्दी के धुरन्धर लिखाड़
क्या साहित्यकार नही होते हैं।
आशीष खण्डेलवाल एक कम्प्यूटरविद् हैं।
क्या आप कम्प्यूटर विज्ञान को
साहित्य नही मानती है?
वन्दना अवस्थी दूबे जो इतना अच्छा लिख रही हैं। आपकी दृष्टि में वो भी साहित्यकार नही हैं।
सबसे पुराने हिन्दी चिट्ठाकारों के रूप में आदरणीय समीरलाल को भी आप साहित्यकार क्यों स्वीकार करेंगी।
जिनका साहित्य ब्लॉग-जगत से निकलकर अब पुस्तकों के रूप में आ चुका है।
इन सभी को आप साहित्यकार भले ही न मानें।
मैं तो इन्हें साहित्यकार मान कर इनका सम्मान करना अपना धर्म समझता हूँ।
यह पोस्ट देर से देख पाया हूँ।
जवाब देंहटाएंरचना जी से इतना जरूर कहना चाहूँगा
कि ब्लॉग और साहित्य विधाएँ नहीं हैं!
और
बेनामी जी अगर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करते तो अधिक प्रभावी हो सकती थी!
मराठी में तो पाक विधियों को भी साहित्य में ही गिना जाता है। संस्कृत परम्परा में बात करें तो जो हित करे, वह साहित्य है।
जवाब देंहटाएंक्यों व्यर्थ विवाद में फंसें। जिस तरह से कलाकार शब्द का प्रयोग सहजता से होता है वैसा ही साहित्यकार शब्द के साथ भी होना चाहिए।
शास्त्री जी ने जो सोचा है, उसमें कुछ भी ग़लत नहीं।
...न सिर्फ पाक विधियां, बल्कि सामग्री भी साहित्य में गिनी जाती है। मसलन फलां फलां चीज़ को बनाने में क्या क्या साहित्य लगता है।
जवाब देंहटाएं...रचना जी ने अभिव्यक्ति-माध्यम के तौर पर साहित्य या ब्लाग को विधा लिख कर कोई गलती नहीं की है। विधा का सीधा सरल और समझ में आने वाला अर्थ शैली, तरीका, विधि, फारमेंट, प्रकार, आदि से ही है। साहित्य और ब्लाग भी इसके अंतर्गत हैं। सूक्ष्मता में जाकर साहित्य की और भी विधाएं और ब्लाग की भी और विधाएं सामने आती हैं।
जवाब देंहटाएंउच्चारण के साथ यदि व्याकरण भी सही हो तो सोने पर सुहागा होगा। सर्वश्री का प्रयोग एक से अधिक लोगों को सम्बोधित करने के लिए होता है। एक व्यक्ति के लिए श्री ही काफी है।
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