हम तुम्हारे वास्ते दुनियाँ में फिर जीते रहे,
चाक कर अपना गिरेवाँ रात दिन सीते रहे।
हमने तेरी राह देखी मिलने आओ गे जरूर,
तुम न आये रात-तन्हा दिल को बहलाते रहे।
रात का तन्हा सफर काटा था हमने जागकर,
फिर सहर होते तेरी यादों के हम खोते रहे
इस जहां के ताने जब हम सुनते-सुनते थक गये,
हो गये ‘बदनाम’ मय खाने में मय पीते रहे।
kahan badhiya hai ... sambhawanayen aur hai.......badhaayee,....
जवाब देंहटाएंarsh
बहुत बढिया ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रचना है।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya.
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.