शून्य में दुनिया समाई, शून्य से संसार है।
शून्य ही सारे गणित का प्राण है आधार है।।
शून्य से अस्तित्व है और शून्य से ही शब्द हैं।
शून्य के बिन, प्राण-मन, सम्बेदना निःशब्द हैं।।
शून्य में हैं कल्पनाएँ, शून्य मे है जिन्दगी।
शून्य में है भावनाएँ, शून्य में है बन्दगी।।
शून्य ही है जख्म, उनका शून्य ही मरहम बने।
शून्य के बिन है निरर्थक, अंक सारे अनमने।।
शून्य में ही चैन हैं, और शून्य मे ही मौन हैं।
शून्य जैसे सार्थक को, सब समझते गौण हैं।।
शून्य से गणनाएँ होती, शून्य ही आकाश हैं।
ग्रह-उपग्रह, चाँद-तारे, शून्य के ही पास हैं।।
शून्य को पाकर सभी धनवान हैं।
शून्य के ही हम सभी मेहमान हैं।।
बहुत सही कहा आपने. बडे बडॆ ज्ञानी इसी शुन्य की खोज मे रहते हैं और प्राप्त हो जाये तब परम ज्ञानी हो जाते हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहोत सही कहा जी आपने शून्य ही संसार का नियम है
जवाब देंहटाएंshunya se hi jeevan shuru
जवाब देंहटाएंshunya par hi khatm
shunya hi jeevan ka aadhar
shunya hi shunya ke paar