झूठे-वादे, कोरे-नारे, झूठा सब अपना-पन है।
तारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।
रंग-बिरंगे झण्डे फहराने की, सब में होड़ लगी है,
खुजली वाले नेताओं के, मन में कोढ़ लगी है,
रूखा-सूखा मत का भूखा, बिन पानी का ये घन है।
तारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।।
पाँच साल जम कर लूटा, अब लुट जाने के दिन हैं,
वोट बैंक की खातिर, जूतों से पिट जाने के दिन हैं,
कुर्सी की खातिर ये करता, पूजा, हवन, भजन है।
तारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।
पाँच साल जम कर लूटा, अब लुट जाने के दिन हैं,
जवाब देंहटाएंवोट बैंक की खातिर, जूतों से पिट जाने के दिन हैं,
कुर्सी की खातिर ये करता, पूजा, हवन, भजन है।
तारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।
बहुत सटीक लिखा.
रामराम.
bilkul teer nishane par choda hai badhaai sac kahane ke liye
जवाब देंहटाएंकडुवा सच कहा है.
जवाब देंहटाएंवोट बैंक की खातिर, जूतों से पिट जाने के दिन हैं,
जवाब देंहटाएंकुर्सी की खातिर ये करता, पूजा, हवन, भजन है।
तारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।
तीख सत्य है...........स्पष्ट और यथार्थ लिखा है
आज के चुनावी दौर में कड़ा प्रहार
मूल पोस्ट से
जवाब देंहटाएंचार लाइन
कॉपी,
फिर पेस्ट!
फिर वाह-वाह!
(ताऊ जी की टिप्पणी से प्रेरित होकर)
katu satya kaha hai.
जवाब देंहटाएंकुर्सी की खातिर ये करता, पूजा, हवन, भजन है।
जवाब देंहटाएंतारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।
SUNDAR BHAV BHARI AAJKAL KE MAHOL MEN FIT KAVITA KE LIYE BADHAYEE.
Mayank ji
जवाब देंहटाएंAapne Bahut badhiya likha hai.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमयंक भैय्या।
जवाब देंहटाएंअच्छा सटीक लिखा।
कड़ा प्रहार किया।