उनकी और उनके बच्चों की बातें,
चुप होकर सह लेती है।
सब के दर्द,
अपने दिल में दबा कर,
रख लेती है,
हाँ,
वह एक माँ है,
और एक अच्छी,
पत्नी भी है।
वह भारतीय नार है,
उसे परिवार में,
सबसे प्यार है।
सास-ससुर को भी,
झेलती है,
उनके लिए,
पतली-पतली,
रोटियाँ भी बेलती है।
इसने घर में,
बेटी का दर्जा पा लिया है,
काश दुनियाँ भर की,
सभी नारियाँ,
ऐसी ही होती।
जन्नत,
घर-घर में होती।
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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मंगलवार, 7 अप्रैल 2009
"भारतीय नारी" ( रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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"इसने घर में,
जवाब देंहटाएंबेटी का दर्जा पा लिया है,
काश दुनियाँ भर की,
सभी नारियाँ,
ऐसी ही होती।"
नारी का सही रूप यही है।
अच्छी विवेचना।
बधाई।
Sir Ji,
जवाब देंहटाएंis Rachana ka rang aur maza alag hi hai.
SHUKRIYA.
टिप्पणीकारों।
जवाब देंहटाएंयह रचना मेरी शुरूआती दौर की है।
बिना किसी संशोधन के इसे प्रकाशित
किया गया है।
इसमें की गयी त्रुटियों को
एक नौसिखिए का भूल समझ
कर माफ कर देना।
बहुत अच्छी रचना है --
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी ,
जवाब देंहटाएंसच ही कहा है अपने यदि दुनिया की सभी महिलाएं इस आदर्श को अपना लें ..तो हर घर में जन्नत हो जाये......
हेमंत कुमार
bahut achhi rachana hai,sach bhi wahi jannat hoti hai.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया लिखा है।
जवाब देंहटाएंबेहद सटीक रचना. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
jannat banane ka khyal achcha hai .
जवाब देंहटाएंaapse ek gujarish hai agar bura na mane to.
aapne pahli line mein jo likha hai unki aur unke bachchon ki...........iski jagah agar aap unki aur apne bachchon ki likhte to jyada asardar hota,mera yahi khyal hai kyuki unke bachchon se parayepan ka ahsaas hota hai.
yeh sirf ek salaah hai agar aapko sahi lage to change kijiyega.
vaise aapko advice dena thik to nhi hai magar mujhe aisa laga to kah diya.please agar bura lage to shama chahti hun.
उनकी और उनके बच्चों की बातें
जवाब देंहटाएंसास-ससुर को भी,
झेलती है,
bharityae samaj ki rudhivaadi soch ko achcha ubhara haen aap ki kavita nae
bhartiyae stri ka ghar to janaat ban jaata hae par wo ghar uska kabhie nahin ban paata
शास्त्री जी, सचमुच आपने बहुत ही बढिया लिखा है कि एक सुसंस्कारित भारतीय नारी ही घर को स्वर्ग बना सकती है,किन्तु ऊपर की गई टिप्पणी को देख कर मन व्यथित हो गया है और मैं यही सोच कर विस्मित हूं कि भारत वर्ष में इस प्रकार की स्त्रियां भी विधमान है!इन्हे तो ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने भारत जैसे देश में पैदा किया,जब कि इन्हे तो कहीं अफगानिस्तान या पाकिस्तान जैसे देश में जन्म लेना चाहिए था. फिर पता चलता कि हिन्दुस्तान में नारी को कितना सम्मान दिया जाता है.
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