मरुथल सुन्दर सा लगता है, उनके आने से। घर भी मन्दिर सा लगता है, उनके आने से।। मन में शहनाई सी बजती, उनके आने से। गालों पर अरुणाई सजती, उनके आने से।। बिन बादल वर्षा आ जाती, उनके आने से। सूखी सरिता सरसा जाती, उनके आने से।। पतझड़ में हरियाली आती, उनके आने से। मौसम में खुशहाली आती, उनके आने से।। कौन कहाँ के वासी हो कुछ तो जतलाओ? एक शब्द में अपना परिचय तो बतलाओ ।। |
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रविवार, 19 अप्रैल 2009
"कुछ तो बतलाओ?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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पहली बार सस्पेंस कविता पढ रहा हूं शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंbataiye shastri ji aap hi kaun hai wo.
जवाब देंहटाएंrachna to bahut hi sundar hai aapke dil ke har jazbaat ko darshati hai.
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत सुंदर ..
जवाब देंहटाएंकौन कहाँ के वासी हो कुछ तो जतलाओ?
जवाब देंहटाएंएक शब्द में अपना परिचय तो बतलाओ ।।
Sunder kavita ke liye,
Aabhaar...
SIR JI,
जवाब देंहटाएंBAHUT ACHHA LIKHA HAI.
मरुथल सुन्दर सा लगता है, उनके आने से।
जवाब देंहटाएंघर भी मन्दिर सा लगता है, उनके आने से।।
बहुत सुंदर कविता।
क्या सखि, साजन?
जवाब देंहटाएंना सखि, पानी!
पहेली मय कविता लग रही है? बहुत सूंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.