गलियों सड़कों और नालियों को साफ करता हूँ, गन्दगी को चट कर जाता हूँ, और सूअर कहलाता हूँ, परन्तु आप तो मुझको ही चट कर जाते हो, जी हाँ! मैं सूअर हूँ, और आप..................? |
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सूअर महोदय की शिकायत जायज लगती है. इसका निराकरण किया जाये.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
अति सुन्दर......
जवाब देंहटाएं:)
गज़ब का कविता लिखा है आपने! चंद लाइनों में आपने बड़े ही सुंदर रूप से सूअर के बारे में लिख डाला! बेचारा सूअर पुरी गंदगी को साफ़ करता है और लोग उसे खाते भी हैं!ऑस्ट्रेलिया में तो पोर्क और बीफ बहुत चलता है!
जवाब देंहटाएंसुअर जी आपकी इस बात में तो बड़ा दम है.. हैपी ब्लॉगिंग.
जवाब देंहटाएंसही है..
जवाब देंहटाएंkya khoob likha hai.........lajawaab......amazing.
जवाब देंहटाएंkya khoob likha hai aap, sawal to bahut kathin hai.
जवाब देंहटाएंसूअर का सवाल विचारणीय है....;)
जवाब देंहटाएंDhaardar vyangya.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बिना लाग-लपेट के सीधी मन को गुदगुदा देती है
जवाब देंहटाएंइतनी अच्छी व्यंग कविता कई दिनों बाद पढ़ी.
धन्यवाद
सत्य वचन डाक्टर साहब.
जवाब देंहटाएंहा..हा..क्या करारा व्यंग्य है..
जवाब देंहटाएंhaa haa haa bahut baDiyaa saval hai sooar ka aabhaar
जवाब देंहटाएंसही सवाल्।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन --
जवाब देंहटाएंवाह --
शब्दो से परे भाव --
बहुत खूब
kya baat hai
जवाब देंहटाएंkamaal ka bhav.bhav sahi hai galat nahin badhai!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, इन सूरभक्षकों का अभी नामकरण किया जाना बाकी है:)
जवाब देंहटाएंसूअर की शिकायत पर गौर किया जाये..!!
जवाब देंहटाएंटिप्पणीदाताओं!
जवाब देंहटाएंआपकी सूअर के प्रति सम्वेदना देख्रकर
मन अभिभूत हो गया है।
आपकी टिप्पणियों के लिए
आभार व्यक्त करता हूँ।
सही कह रहे हैं, सुअर सर!!
जवाब देंहटाएंशिकायत वाजिब है
जवाब देंहटाएंसूअर की शिकायत पर गौर किया जाये:())
जवाब देंहटाएं