ठलवे ही ठलवे मेरे देश में हैं। जलवे ही जलवे मेरे देश में हैं।। भवन खोखला कर दिया है वतन का, अमन-चैन छीना है अपने चमन का, बलवे ही बलवे मेरे देश में हैं। जलवे ही जलवे मेरे देश में हैं।। नेताओं ने चाट ली सब मलाई, बुराई के डर से छिपी है भलाई, हलवे ही हलवे मेरे देश में हैं। जलवे ही जलवे मेरे देश में हैं।। चारों तरफ है अहिंसा का शोषण, घर-घर में पैदा हुए हैं विभीषण, मलवे ही मलवे मेरे देश में हैं। जलवे ही जलवे मेरे देश में हैं।। |
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मंगलवार, 25 अगस्त 2009
‘‘जलवे ही जलवे मेरे देश में हैं’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बेहतरीन रचना!
जवाब देंहटाएंTOPIC IS GOOD.
जवाब देंहटाएंWORDS ARE VERY-VERY ORDINARY.
WE EXPECT GOOD VOCABULARY FROM YOU.
PERHAPS THIS COMMENT WILL HURT YOU.
BUT FROM MY HEART I REALLY EXPECT GOOD SHABDAWALI MEANS POETIC WORDS FROM YOU.
ALTHOUGH THE TOPIC IS GOOD.
RAMESH SACHDEVA
सही बात
जवाब देंहटाएंसच्ची बात
बधाई !
बहुत लाजवाब जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह शानदार रचना! बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने जो सच्चाई का प्रतीक है!
जवाब देंहटाएंचारों तरफ है अहिंसा का शोषण,
जवाब देंहटाएंघर-घर में पैदा हुए हैं विभीषण,
मलवे ही मलवे मेरे देश में हैं।
जलवे ही जलवे मेरे देश में हैं।।
बेहतरीन रचना.बधाई !
सुंदर चित्रण किया देश का..
जवाब देंहटाएंवर्तमान तो कुछ ऐसा ही है..सुंदर कविता!!!
वाह मयंक जी एक और लाजवाब रचना। बधाई
जवाब देंहटाएंwaah kya sahi chitran kiya hai bhaarat ke netao ka...!
जवाब देंहटाएंsatya ko ujagar karti rachna.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना!
जवाब देंहटाएंबधाई !
पर फ़िर भी आप से विनती है की सचदेवा जी की राय पर विचार करे |
शिवम् जी!
जवाब देंहटाएंACHARYA RAMESH SACHDEVA जी ने जो कुछ कहा मैं समझा नही।
WORDS ARE VERY-VERY ORDINARY.
क्या आप स्पष्ट करेंगे कि इनमें कौन से शब्द
साधारण हैं।
यदि आपकी दृष्टि में हैं तो मैं स्वयं
ही बहुत साधारण हूँ तो विशिष्ट शब्द कहाँ से लाऊँगा?
सचदेवा जी और आपका आभारी रहूँगा।
Bhut sundar.
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
bhut hi achchhi or satik rachna
जवाब देंहटाएंbhut bhut badhai
उत्कृष्ट रचना
जवाब देंहटाएं----
'चर्चा' पर पढ़िए: पाणिनि – व्याकरण के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार
"ठलवे ही ठलवे मेरे देश में हैं।"
जवाब देंहटाएंएक दम सहमत.
बहुत सुंदर.