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आँखे करके बन्द चमन के माली अलसाये हैं,
जवाब देंहटाएंनौनिहाल पादप जीवन बगिया में मुरझाये हैं,
आज जरूरत है इस धरती में, शौर्य बीज उपजाने की।
आज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।।
बहुत सुन्दर !
मँहगाई की चक्की में, निर्धन जन पिसते जाते हैं,
जवाब देंहटाएंढोंगी सन्त-महन्त मजे से, चन्दन घिसते जाते हैं,
आज जरूरत रावण से, सीता की लाज बचाने की।
आज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।।
bahut sundar bhav hain........halat ka sahi chitran kiya hai..........aapki mehnat safal ho yahi kamna hai...........badhayi.
बहुत सामयिक और सटीक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही बढ़िया कविता | आज के समय के अनुसार सटीक विचारो से भरी हुयी |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई |
सटीक और सामयिक ..बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंमँहगाई की चक्की में, निर्धन जन पिसते जाते हैं,
जवाब देंहटाएंढोंगी सन्त-महन्त मजे से, चन्दन घिसते जाते हैं।
सही बात है। आपने कविता के जरिए यथार्थ का उदघाटन किया है। आभार।
देसी एडीटर
खेती-बाड़ी
आँखे करके बन्द चमन के माली अलसाये हैं,
जवाब देंहटाएंनौनिहाल पादप जीवन बगिया में मुरझाये हैं,
आज जरूरत है धरती में, शौर्य बीज उपजाने की।
आज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।।
BAHUT PYARI RACHNA .BADHAI!!
आज जरूरत है प्रताप जैसे तेवर अपनाने की।
जवाब देंहटाएंआज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।।
बिलकुल सही कहा आप ने
धन्यवाद
behad khubsoorat rachana........shabd kam pad rahe hai ....
जवाब देंहटाएंराम-कृष्ण की मर्यादा का ध्यान हमें धरना है,
जवाब देंहटाएंदानव और दुर्दान्त-द्रोहियों का मर्दन करना है,
आज जरूरत है प्रताप जैसे तेवर अपनाने की।
आज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।।
बहुत सुन्दर और प्रेरणाप्रद प्रस्तुति के लिये बधाई
बहुत ही सशक्त रचना. आभार.
जवाब देंहटाएंआज जरूरत है धरती में, शौर्य बीज उपजाने की।
जवाब देंहटाएंसत्य बचन | वाह क्या उत्तम भावः हैं ...
साधू!!