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बहुत खूब , शास्त्री साहब !
जवाब देंहटाएंसारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है......!!! !!!
जवाब देंहटाएंवह शास्त्री जी क्या बात लिखी है .......
जख्मों पे हमने दर्द का मरहम लगा लिया - वाह शास्त्री जी। सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत सुंदर रचना ! चित्र भी बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंहमने तो गाकर देखा बड़ा मजा आया.
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंदर्द ही मरहम हो गया.
जख्म फिर सहम गया.
बेहतरीन रचना. सुन्दर अनुभूति.
हमने तो दुश्मनों की, हमेशा बड़ाई की,
जवाब देंहटाएंपर दोस्तों ने बे-वजह, हमसे लड़ाई की,
हमने वफा निभाई, उन्होंने दगा किया।
सारे जहाँ का दर्द, जिगर में बसा लिया।।
bahut hi bhavpoorn rachna lagi dil se badhai!!
बहुत सुंदर रचना. चित्र भी बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
काफी अच्छी लगी रचना आपकी. हिंदी टाइपिंग टूल भी काफी उपयुक्त जगह जोड़ा है आपने. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंक्या लिखे ................ सच ही तो लिखा है आपने !!
जवाब देंहटाएं"आया गमों का दौर तो, दिल तंग हो गये,
मित्रों में मित्रता के भाव, भंग हो गये,"
आज कल के दौर में कितने लोग है जो सच्ची दोस्ती निभाते है ,हर बन्दा अपने लाभ के लिए ही मिलता है आपसे | आप का कोई काम हो तो हर कोई...." busy हूँ भाई !!!"
बहुत सुंदर रचना !
सुन्दर गीत है,
जवाब देंहटाएंगाने को मन मचल जाता है।
बधाई।
zakhmon mein humne dard ka marham laga liya.........waah ,gazab kar diya........aaj to bahut hi gahre bhavon ke sath likha hai jaise koi zakhm udhad gaya ho aur aapne us par shabdon ka marham lagaya ho.
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी सुन्दर रचना..देर से पढ़ने के लिए क्षमा
जवाब देंहटाएंआया ग़मों का दौर तो दिल तंग हो गए
जवाब देंहटाएंजानदार पंक्ति
भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएं