नजरों के साथ-साथ नज़ारे बदल गये
उतरेंगे कैसे पार, किनारे बदल
गये
ज़न्नतनुमा वतन का ख्वाब चूर हो
गया
आजाद क्या हुए कि सितारे बदल गये
कतरन मिली तो खिल उठा चेहरा बजाज
का
गद्दी पे बैठ पंच-पियारे बदल गये
कैसे मिलेगी जहर से हमको निज़ाद अब
साँपों को पालने के पिटारे बदल
गये
अब इन्कलाब आयेगा कैसे जुगाड़ में
हुब्बेवतन के सारे इदारे बदल गये
होने लगे विदेश के वो “रूप” पर
फिदा
बदकिस्मती से ढंग हमारे बदल गये
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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मंगलवार, 13 अगस्त 2013
"ढंग हमारे बदल गये" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सही कहा !
जवाब देंहटाएंवाकई बदलने
के साथ साथ
उड़ भी गये हैं रंग
क्या किया जाये
जीने का अब
आता है हमें
पसंद यही ढंग !
समय के साथ रंग और ढंग दोनों बदल गए हैं … बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ....
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति ,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : जिन्दगी.
कैसे मिलेगी जहर से हमको निज़ाद अब
जवाब देंहटाएंसाँपों को पालने के पिटारे बदल गये.सुन्दर अभिव्यक्ति
कतरन मिली तो खिल उठा चेहरा बजाज का
जवाब देंहटाएंगद्दी पे बैठ पंच-पियारे बदल गये
बहुत बढ़िया ! आज के वक्त की बिलकुल सही तस्वीर खींची है शास्त्री जी ! बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति !
हर शब्द निरीहता और सच से सराबोर...अंतर को छूनेवाली रचना
जवाब देंहटाएंआज का समय केनवस पे उतार दिया हो जैसे ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब और प्रभावी ...
bahut hee sundar prastuti.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही और सार्थक...ढंग हमारे बदल गए
जवाब देंहटाएंएक बड़ा सच व्यक्त किया है।
जवाब देंहटाएं