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शुक्रवार, 16 अगस्त 2013
"टिप्पणी में ग़ज़ल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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"रूप"ने टिप्पणी में लिखी ये ग़ज़ल,
जवाब देंहटाएंबून्द छोटी सी है जल की धारा नही।
वाह वाह !!! क्या बात बहुत सुंदर गजल ,,,बधाई...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
मेरी खुद्दारियाँ आड़े आतीं रहीं,
जवाब देंहटाएंमैंने माँगा किसी से सहारा नहीं।
वाह ...बहुत सुन्दर ग़ज़ल ....
बहुत बढिया..सुन्दर ग़ज़ल ....
जवाब देंहटाएंगीत का प्रवाह है इस रचना में गजल कहो कुछ और कहो क्या फर्क पड़ता है रचना आखिर रचना है।
जवाब देंहटाएंलाजवाब अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया.
जवाब देंहटाएंअपने गम आँसुओं में बहाते रहे,
जवाब देंहटाएंहमने तन और मन को सँवारा नहीं।
very nice expression of feelings .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी...बहुत खुबसूरत अहसास !
जवाब देंहटाएंजैसा भी है, अपना जीवन,
जवाब देंहटाएंरसमय, मधुमय, सपना जीवन।
"रूप" ने टिप्पणी में लिखी ये ग़ज़ल,
जवाब देंहटाएंबून्द छोटी सी है जल की धारा नहीं।
ati sundar prastuti shastri ji
बहुत बढिया ग़ज़ल ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल.
जवाब देंहटाएंरामराम.
खुबसूरत एहसास कराती एक सुंदर ...गजल
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