बेमौसम की आँधियाँ, दिखा रही औकात।
कैसे डाली पर टिकें, मुरझाये से पात।।
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झूम-झूम लहरा रहे, हरे-भरे सब पात।
संग-साथियों से करें, अपने मन की बात।।
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बचपन होता है सरल, गरल बुढ़ापा होय।
मीठी गोली छोड़ कर, अब खा रहे गिलोय।।
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आगे ही कुछ केश हैं, पीछे गंजी चाँद।
समयचक्र के केश को, आगे जाकर बाँध।।
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जीवन एक पहाड़ है, कहीं चढ़ाई-ढाल।
परेशान करते बहुत, उलझे हुए सवाल।।
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सोमवार, 28 अक्टूबर 2013
"दोहे-उलझे हुए सवाल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर .....
जवाब देंहटाएंजीवन एक पहाड़ है, कहीं चढ़ाई-ढाल।
जवाब देंहटाएंपरेशान करते बहुत, उलझे हुए सवाल।।
बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और लक्ष्मी पूजन
इस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-29/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -36 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
jiwan darshan ke dohe
जवाब देंहटाएंजीवन एक पहाड़ है, कहीं चढ़ाई-ढाल।
जवाब देंहटाएंपरेशान करते बहुत, उलझे हुए सवाल।।uttam dohe
सुन्दर प्रस्तुति है गुरुवर-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
जीवन एक पहाड़ है, कहीं चढ़ाई-ढाल।
जवाब देंहटाएंपरेशान करते बहुत, उलझे हुए सवाल।।
भावपूर्ण सुंदर दोहे ,,, आभार ...
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
आभामय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे !
जवाब देंहटाएंबेमौसम की आँधियाँ, दिखा रही औकात।
जवाब देंहटाएंकैसे डाली पर टिकें, मुरझाये से पात।।
मोदी के आगे नहीं इनकी कुछ औकात ,
कहते इनको "आई-एम्" खूब लगाते घात।
लिस्ट लिए था घूमता मंद मति कल रात ,
बित्ता भर का कद नहीं ,पल पल पे उत्पात।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है दोहों की -
जीवन एक पहाड़ है, कहीं चढ़ाई-ढाल।
परेशान करते बहुत, उलझे हुए सवाल।।
जीवन एक पहाड़ है, कहीं चढ़ाई-ढाल।
जवाब देंहटाएंपरेशान करते बहुत, उलझे हुए सवाल।।
जीवन पर बहुत सुन्दर दोहे !
नई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )