न मजमून लिखते, न कुछ बात होती
बताओ तो कैसे मुलाकात होती
अगर दोस्ती है तो शिकवे भी होंगे
न शक कोई होता, न कुछ घात होती
अगर तुम न प्यादे को आगे बढ़ाते
न शह कोई पड़ती, न फिर मात होती
दिखाता न सूरत अगर चाँद अपनी
न फिर ईद होती न सौगात होती
अगर तुम न छुप-छुपके मिलते चमन में
सुहानी न फिर चाँदनी रात होती
अगर "रूप" अपना दिखाते न दिलवर न बिजली चमकती न बरसात होती |
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बुधवार, 16 अक्टूबर 2013
"कैसे मुलाकात होती" डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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अगर "रूप" अपना दिखाते न दिलवर
जवाब देंहटाएंन बिजली चमकती न बरसात होती------gajab ki baat kahi hai
अगर तुम न छुप-छुपके मिलते चमन में
जवाब देंहटाएंसुहानी न फिर चाँदनी रात होती..वाह्क्या बात कह दी..बहुत बढिया
बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंlatest post महिषासुर बध (भाग २ )
वाह बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ,भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंअगर तुम न प्यादे को आगे बढ़ाते
जवाब देंहटाएंन शह कोई पड़ती, न फिर मात होती
छा गए गुरु देव।
उम्दा पोस्ट.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.
बढ़िया प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएं