गुजर गया है साल
पुराना।
गाओ फिर से नया
तराना।।
सब कुछ तो पहले
जैसा है,
लक्ष्य आज भी तो
पैसा है,
सिर्फ कलेण्डर ही तो
बदला,
वही ठौर है, वही
ठिकाना।
नित्य नये अनुभव होते
हैं,
कुछ हँसते हैं,
कुछ रोते हैं,
जीवन तो बस एक सफर
है,
सबको पड़ता आना-जाना।
पीना पड़ा यहाँ
गरल है,
शंकर बनना नहीं
सरल है,
कैसे महादेव बन
जायें?
मुश्किल गंगा धार
बहाना।
आपाधापी, भाग-दौड़
है,
गुणा-भाग है और
होड़ है,
इक आता है, इक
जाता है,
जग है एक मुसाफिरखाना।
लोग मील के पत्थर
जैसे,
अपनी मंजिल पायें
कैसे?
औरों को पथ बतलाते
हैं,
ये क्या जानें कदम
बढ़ाना।
|
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बुधवार, 1 जनवरी 2014
"सिर्फ कलेण्डर ही तो बदला" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंनव वर्ष मंगलमय हो !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 02-01-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
आभार
BAHUT SUNDAR GURU JI...SADAR NAMAN
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाए
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
ना मौसम बदलता है, ना बसन्त आता है बस कलेण्डर बदलने का ही नाम है यह अग्रेजी साल। बहुत अच्छी कविता के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंधरती नहीं बदली न बदली मनुष्य की प्रकृति
जवाब देंहटाएंकेवल कलेंडर बदला जो मानव की है कृति !
नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट नया वर्ष !
नई पोस्ट मिशन मून
अंग्रेजी नव वर्ष सिर्फ कैलेण्डर बदलने जैसा ही ...
जवाब देंहटाएंफिर भी इस नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें !
आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (1 जनवरी, 2014) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
बढ़िया ...नये साल की शुभकामनाओं के साथ ...
जवाब देंहटाएंपीना पड़ा यहाँ गरल है,
जवाब देंहटाएंशंकर बनना नहीं सरल है,
कैसे महादेव बन जायें?
मुश्किल गंगा धार बहाना।
अति सुन्दर
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरणीय
बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएँ !!
बहुत बढ़िया कहा आपने!
जवाब देंहटाएंअपना भी कुछ ऐसा मानना है:
जैसे हो उस हाल मुबारक,
टेढ़ी-मेढ़ी चाल मुबारक,
वो ही पुराना माल मुबारक,
फिर भी नया साल मुबारक???
अति सुन्दर .... सदर नमन
जवाब देंहटाएंसब कुछ तो पहले जैसा है,
लक्ष्य आज भी तो पैसा है,
सिर्फ कलेण्डर ही तो बदला,
वही ठौर है, वही ठिकाना।