खुलकर फिर से घाम खिला है।
सर्दी
से आराम मिला है।।
बादल-बदली
नहीं गगन में,
धूप
गुनगुनी है आँगन में,
चिड़िया
निकलीं चुगने दाने,
मज़दूरों
को काम मिला है।
सर्दी
से आराम मिला है।।
ठिठुरन
भागी, कुहरा भागा,
आसमान
में सूरज जागा,
बहुत
दिनों के बाद आज फिर,
तन
को सुख का धाम मिला है।
सर्दी
से आराम मिला है।।
थोड़ा
सा दिनमान बढ़ा है,
यौवन
पर उन्माद चढ़ा है,
सम्बन्धों
के अनुबन्धों को,
मौसम
ललित-ललाम मिला है।
सर्दी
से आराम मिला है।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 20 जनवरी 2014
"सर्दी से आराम मिला है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
लेकिन आज भी बहुत ठंड है ....ना धूप, ना खिला सा दिन मिला
जवाब देंहटाएंमोसम के अनुरूप कविता .... गुनगुनी धूप में . ..खिला -२ दिन ....सुंदर ....
जवाब देंहटाएंठण्ड में आँगन में गुनगुनी धूप का क्या कहने!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता
बधाई हो...यहाँ प्लेन में तो ठण्ड का कहर जारी है...
जवाब देंहटाएंaajkal to dhoop se hi aaram mil raha hai ..sardi ne to dam nikal diya hai ...
जवाब देंहटाएंसर्दियों के मौसम में गुनगुनी धुप का आनंद ही कुछ और है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
बहुत खूब पर यहाँ बर्फबारी के बाद देर से आयी बिजली कोई काम नहीं हुआ है :(
जवाब देंहटाएंसर्दियों के मौसम में हल्की धुप कि तो बात ही अलग है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
:-)
अभी भी बहुत ठण्ड है ..थोडा राहत जरुर है ! कविता अच्छी है
जवाब देंहटाएंसुबह - सुबह की की बात निराली
जवाब देंहटाएंरखी बगल में चाय की प्याली
अच्छी इक कविता पढ़ने का मुझको यह ईनाम मिला है ..
कभी कंपन लगती थी, आज गुनगुनी लगती है धूप।
जवाब देंहटाएंसर्दी की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंकोहरा पहने ऋतु चढ़ी मौसम का दरबार
नया साल कहने लगा आदाब'र्ज सरकार
sardi se aisa hi aaram jald milega ki aas jaga di is rachna ne ..sundar abhivyakti ..
जवाब देंहटाएंआप की इस कुनकुनी कविता ने ठिठुरती ठंड में राहत दे दी है,धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं