अब थोड़े दिन में बगिया के,
वृक्ष
सभी बौराने वाले।
अपने
उपवन के बिरुओं में
फूल बसन्ती
आने वाले।।
सेमल
के इस महावृक्ष ने,
नया “रूप”
अब दिखलाया है।
पत्ते
सारे सिमट गये हैं,
पतझड़
में तन गदराया है।
सेमलडोढे
खिल जायेंगे,
सबका
मन हर्षाने वाले।
अपने
उपवन के बिरुओं में
फूल बसन्ती
आने वाले।।
टेसू
के पेड़ों पर भी तो,
लाल
अँगारे अब दहकेंगे।
छटा
वनों की अद्भुत होगी,
कुसुम
डाल पर जब चहकेंगे।
अब चम्पा-जूही
गेन्दा भी,
घर-आँगन
महकाने वाले।
अपने
उपवन के बिरुओं में
फूल बसन्ती
आने वाले।।
पीताम्बर
परिधान पहनकर
अब
पीली सरसों फूलेगी।
गेंहूँ
के कोमल पौधों पर,
हरी
बालियाँ अब झूलेंगी।।
खुशियों
गठरी अब लेकर,
दिवस
सुहाने आने वाले।
अपने
उपवन के बिरुओं में
फूल बसन्ती
आने वाले।।
देते
हैं आभास सलोना,
अब
बसन्त आने वाला है।
धूप
गुनगुनी बोल रही है,
अब
जाड़ा जाने वाला है।
गीत
खुशी के कागा-कोकिल,
कानन
में अब गाने वाले।
अपने उपवन के बिरुओं में
फूल बसन्ती आने वाले।।
प्रेमदिवस
दस्तक अब देगा,
मस्त
नज़ारे हो जायेंगे।
यौवन
अब उन्मादित हो कर,
प्रणय-प्रीत
में खो जायेंगे।
वादे
और इरादे होंगे,
रस
की धार बहाने वाले।
अपने
उपवन के बिरुओं में
फूल बसन्ती
आने वाले।।
|
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शनिवार, 18 जनवरी 2014
"फूल बसन्ती आने वाले" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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काफी उम्दा प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (19-01-2014) को "तलाश एक कोने की...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1497" पर भी रहेगी...!!!
- मिश्रा राहुल
वाह, प्रकृति से एकाकार हो गया पढ़कर। बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंबसंत आगमन पर सुंदर गीत .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत .....
जवाब देंहटाएंनयेपन की आहट..
जवाब देंहटाएंनव ऋतु के स्वागत की तैयारी आरम्भ हो गयी है...आगत का स्वागत है...
जवाब देंहटाएंbahut sunder likhe.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
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