लालची कुत्तों से दामन को बचाना चाहिए।
अज़नबी
घोड़ों पे बाज़ी ना लगाना चाहिए।।
आज
फिर खुदगर्ज़ करने, चापलूसी आ गये,
चापलूसों
पर भरोसा ना जमाना चाहिए।
बेच देंगे वतन को अपने, सियासत के फकीर,
मुल्क
की जी-जान से अस्मत बचाना चाहिए।
कब
तलक करते रहेंगे हम पड़ोसी पर यकीन,
दुश्मनों
को भूलकर ना आज़माना चाहिए।
क़ातिलों
को जेल में कबतक खिलाओगे कबाब,
ऐसे
गद्दारों को फाँसी पे चढ़ाना चाहिए।
माफ
करने की अदा, अच्छी नहीं मेरे हुजूर,
अब
लचर कानून में बदलाव लाना चाहिए।
“रूप” दिखलाकर नहीं दौलत कमाना चाहिए,
अपनी
मेहनत से मुकद्दर को बनाना चाहिए।
|
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शनिवार, 27 अक्टूबर 2012
"कानून में बदलाव लाना चाहिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सही बात कही है आपने !!
जवाब देंहटाएंयहाँ तो क़ानून निरस्त किये जाते हैं.
जवाब देंहटाएंसही बात है कि आख़िर कब तक
जवाब देंहटाएंइस बात को हम कितना चिल्ला चिल्ला कर कहते रहें होगा वही जो तथाकथित शासकों को अपने साम्राज्य को बनाये रखने उचित लगेगा . हम अपना मत ही नहीं बल्कि आवाज और इच्छाएं भी गिरवी रख चुके हैं
जवाब देंहटाएंजो सच हैं वो आपने लिख दिया
जवाब देंहटाएंक़ातिलों को जेल में कबतक खिलाओगे कबाब,
जवाब देंहटाएंऐसे गद्दारों को फाँसी पे चढ़ाना चाहिए।
माफ करने की अदा, अच्छी नहीं मेरे हुजूर,
अब लचर कानून में बदलाव लाना चाहिए।
बस एक यही बात सियासतदार नही समझना चाहते कुर्सी का सवाल जो है।
बहुत सही कहा..आभार
जवाब देंहटाएंसीधी बात...नो बकवास...क्लियर है...
जवाब देंहटाएंजन मन की आवाज़ को स्वर दिया है भाई साहब .सलामत रहो ,रखो ये ज़ज्बा .
जवाब देंहटाएंक़ातिलों को जेल में कबतक खिलाओगे कबाब,
ऐसे गद्दारों को फाँसी पे चढ़ाना चाहिए।
जन मन की आवाज़ को स्वर दिया है भाई साहब .सलामत रहो ,रखो ये ज़ज्बा .
जवाब देंहटाएंक़ातिलों को जेल में कबतक खिलाओगे कबाब,
ऐसे गद्दारों को फाँसी पे चढ़ाना चाहिए।
क़ातिलों को जेल में कबतक खिलाओगे कबाब,
जवाब देंहटाएंऐसे गद्दारों को फाँसी पे चढ़ाना चाहिए।
कबाब खिलाते सुरक्षा देते करोडो खर्च हुए लेकिन अब माफ़ी नहीं ....
सही बात कही है, प्रभावी ढंग से...
जवाब देंहटाएंसही सीख देती रचना।
जवाब देंहटाएंsahee baat bataati rachnaa!
जवाब देंहटाएं