ज़िन्दगी के खेल में, कुछ प्यार की बातें करें।
प्यार का मौसम है, आओ प्यार की बातें करें।।
नेह की लेकर मथानी, सिन्धु का मन्थन करें,
छोड़ कर छल-छद्म, कुछ उपकार की बातें करें।
आस के अंकुर उगाओ, अब सुमन के खेत में,
प्रीत का संसार है, शृंगार की बातें करें।
भावनाओं के नगर में,
गीत खुलकर गुनगुनाओ,
रूठने
की रीत में, मनुहार की बातें करें।
कदम आगे तो बढ़ाओ, सामने मंजिल खड़ी,
जीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें।
थाल पूजा का सजाकर, वन्दना के साथ में,
दीन-दुखियों
के सदा, उद्धार की बातें करें।
आए
जब भी पर्व कोई, प्यार से उपहार दें,
छोडकर
शिकवे-गिले, त्यौहार की बातें करें।
कामकाजी
हो अगर तो, घर न लाओ काम को,
मिलके घर-परिवार में, परिवार की बातें करें।
“रूप” है नश्वर सभी का, चार दिन की चाँदनी।
छोड़कर इन्कार को, इक़रार की बातें करें।
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शनिवार, 13 अक्टूबर 2012
" कुछ प्यार की बातें करें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुलझी सुलझी प्यार की बातें,
जवाब देंहटाएंअपनों के संसार की बातें ।
रूप” है नश्वर सभी का, चार दिन की चाँदनी।
जवाब देंहटाएंछोड़कर इन्कार को, इक़रार की बातें करें।
..बहुत बढ़िया
सच जिंदगी में प्यार नहीं तो जिंदगी बेकार ही समझो ..
बोलो कैसे करूँ मैं, प्रकट पूर्ण अनुराग ।
जवाब देंहटाएंनियत करे सरकार जब, वेतन का लघु भाग ।
वेतन का लघु भाग, अभी तक पूरा वेतन ।
पायी बिन खटराग, लुटाई अपना तन-मन ।
कर के प्रेमालाप, जहर अब यूँ नहिं घोलो ।
कर दूंगी झट केस, अकेले में गर बोलो ।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शास्त्री सर !
जवाब देंहटाएंचार दिन की ज़िंदगी है...जी भर जियो और जीने दो..
खार सारे चुन लें आओं ... बहार की बातें करें. ....
~सादर !
आए जब भी पर्व कोई, प्यार से उपहार दें,
जवाब देंहटाएंछोडकर।।।।।(छोड़कर)....... शिकवे-गिले, त्यौहार की बातें करें।
हर तरफ आलम है भ्रष्टाचार का ,
मुस्कुराता है ,छद्मी पैरहन ,
ऐसे में कौन से मयार की बातें करें ,
हार की बातें नहीं ,तकरार की बातें हैं ये ,
चिरकुटी माहौल में अब कौन सी बातें करें .
आपकी रचना में कोमल भाव है, हैं बहुत माहौल में झर्बेरियाँ ,
ऐसे में कोई बताओ! प्यार की बातें करें ?
प्यार की बातें करें...ज़िन्दगी में इसके अलावा कुछ भी नहीं है...
जवाब देंहटाएंआस के अंकुर उगाओ, अब सुमन के खेत में,
जवाब देंहटाएंप्रीत का संसार है, शृंगार की बातें करें।
भावनाओं के नगर में, गीत खुलकर गुनगुनाओ,
रूठने की रीत में, मनुहार की बातें करें।
बेहद सुन्दर ....प्यार की बातें ..स्नेहिल संसार की बातें....सादर अभिनन्दन !!!
कदम आगे तो बढ़ाओ, सामने मंजिल खड़ी,
जवाब देंहटाएंजीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,,
MY RECENT POST: माँ,,,
वाह बहुत खूब ......बस प्यार ही प्यार
जवाब देंहटाएंbahut sunder baaten.....
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएं'कामकाजी हो अगर तो, घर न लाओ काम को,
मिलके घर-परिवार में, परिवार की बातें करें।'
- यह हुई नीति की बात !
बहुत खूब शास्त्री साहब... हमेशा की तरह शानदार...
जवाब देंहटाएंआज 14-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं.... आज की वार्ता में ... हमारे यहाँ सातवाँ कब आएगा ? इतना मजबूत सिलेण्डर लीक हुआ तो कैसे ? ..........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं“रूप” है नश्वर सभी का, चार दिन की चाँदनी।
जवाब देंहटाएंछोड़कर इन्कार को, इक़रार की बातें करें।
सकारात्मक सोच के साथ लिखी गई खूबसूरत रचना |