कई बार पुरानी रचनाएँ भी बहुत आनन्द देती हैं!
प्रस्तुत है यह पुरानी बाल रचना!
कहाँ चले ओ बन्दर मामा,
मामी जी को साथ लिए।
इतने सुन्दर वस्त्र आपको,
किसने हैं उपहार किये।।
हमको ये आभास हो रहा,
शादी आज बनाओगे।
मामी जी के साथ, कहीं
उपवन में मौज मनाओगे।।
दो बच्चे होते हैं अच्छे,
रीत यही अपनाना तुम।
महँगाई की मार बहुत है,
मत परिवार बढ़ाना तुम।
चना-चबेना खाकर, अपनी
गुजर-बसर कर लेना तुम।
अपने दिल में प्यारे मामा,
धीरजता धर लेना तुम।।
छीन-झपट, चोरी-जारी से,
सदा बचाना अपने को।
माल पराया पा करके, मत
रामनाम को जपना तुम।।
कभी इलैक्शन मत लड़ना,
संसद में मारा-मारी है।
वहाँ तुम्हारे कितने भाई,
बैठे भारी-भारी हैं।।
हनूमान के वंशज हो तुम,
ध्यान तुम्हारा हम धरते।
सुखी रहो मामा-मामी तुम,
यही कामना हम करते।।
|
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शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012
"हनूमान के वंशज हो तुम" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अच्छी लगी-
जवाब देंहटाएंदुबारा पढ़कर भी नई जैसी -
आभार आपका ||
कभी इलैक्शन मत लड़ना,
जवाब देंहटाएंसंसद में मारा-मारी है।
वहाँ तुम्हारे कितने भाई,
बैठे भारी-भारी हैं।।
सुन्दर व्यंजना .मनमोहक मनमोहना बाल गीत .
"हनूमान के वंशज हो तुम" (डॉ,रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ की आगे से ,हटाएं बिंदी लगाएं ,"डॉ ."धन्यवाद .
बहुत ख़ूब! वाह!
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी देखें-
नाहक़ ही प्यार आया
भाई वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी!
जवाब देंहटाएंबुढ़ापे में आँखें भी कमजोर हो जाती हैं!
इस विषय पर भी कोई आलेख लिखने की कृपा करें!
जल्दबाजी में लिखने से गलतियाँ तो हो ही जाती हैं!
ऑनलाइन लिखने में यही दिक्कत है!
बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंआपका संदेश दूर दूर तक पहुंच गया
कभी इलैक्शन मत लड़ना,
संसद में मारा-मारी है।
वहाँ तुम्हारे कितने भाई,
बैठे भारी-भारी हैं।।
कभी इलैक्शन मत लड़ना,
जवाब देंहटाएंसंसद में मारा-मारी है।
वहाँ तुम्हारे कितने भाई,
बैठे भारी-भारी हैं।।
हाहाहा मजा आ गया इस कविता को पढ़कर और चित्र देखकर
कितने Cute लग रहे दोनों मामा-मामी...हाहाहा :))
जवाब देंहटाएं~सादर !!!
कभी इलैक्शन मत लड़ना,
जवाब देंहटाएंसंसद में मारा-मारी है।
वहाँ तुम्हारे कितने भाई,
बैठे भारी-भारी हैं।।
बहुत प्यारी रचना
बड़ी प्यारी जोड़ी लगी..
जवाब देंहटाएंमज़ेदार ......जोड़ी भी दमदार हैं :)))
जवाब देंहटाएंbandar mama ki jai....
जवाब देंहटाएंबाल कविता में हालात का भी वर्णन । सुंदर लगी कविता ।
जवाब देंहटाएं