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रविवार, 21 अक्टूबर 2012
"ब्लॉगिंग एक नशा नहीं आदत है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सही कह रहे हैं, क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएं---
अपने ब्लॉग को ई-पुस्तक में बदलिए
मै तो कहता हूं कि बीमारी है , साक्षात दुनिया में मिलना जुलना भी लोगो से कम हो गया है
जवाब देंहटाएंजुआँ खेलना छूटता, नहिं दारु के घूँट ।
जवाब देंहटाएंधूम्रपान की लत गई, क्लब ही जाये छूट ।
क्लब ही जाये छूट , मित्र कुछ अच्छे पाए ।
पथ जाएँ गर भटक, मार्ग सच्चा दिखलायें ।
घर में किच-किच ख़त्म, किन्तु कुछ उठे धुआँ है ।
सूर्पनखा से बचा, जिन्दगी एक जुआँ है ।
हमारी भी आदतों में शामिल हो गया है यह विश्व..
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा,,,,,ब्लोगिंग नशा नही आदत है,,,और इसका भविष्य उज्वल है ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम
ब्लागिंग जुनून है, ये आपको हमेशा जीवित रखती है। आपकी सोचने की समक्षा बढाती है।आप के मन में खाते, पीते उठते बैठते कुछ ना कुछ चल रहा होता है। बस एक कोशिश हमें ये करनी है कि जो कुछ मन में चल रहा है कि उसे सकारात्मक दिशा दे दें। ऐसा ना हो कि इसे गलत दिशा में मोड़ दे।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक लेख..
स्वस्थ ब्लागिंग आशीर्वाद है ईश्वर का.
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग तो नशा भी है और आदत भी.क्यूँ की कभी कभी नशा उतर भी जाता है.उस समय आदत भी छुट जाती है.और कभी कभी आदत कुछ ज्यादा ही नशा कर जाती है.
जवाब देंहटाएंइंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
sunder lekh......
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंआपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 22-10-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1040 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
सही कहा ब्लोगिंग अब आदत बन चुका है ।
जवाब देंहटाएंआदत तो है, लेकीन फिर भी आदत तो बुरी नहीं है.. चलने दो भाई.. लिखते रहो..
जवाब देंहटाएंअरे इस अगर आदत से नशा भी हो रहा है तो होने भी दीजिये ना वैसे पीने वाले को पियक्कड़ बोला जाता है ब्लागिंग करने वाले को क्या कहा जाये? :)
जवाब देंहटाएंआदत बन गया है..वाकई..
जवाब देंहटाएंउस समय तो यह आभास भी नही(नहीं ) था कि इस प्रश्न का उत्तर क्या देना है?
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग के बारे में बस यह ही -
एक आदत सी हो गई है ,तू
और आदत कभी नहीं जाती ,
ज़िन्दगी है के जी नहीं जाती ,
ये जुबां हमसे सी नहीं जाती .
ब्लोगिंग ने लिखाड़ी को सम्पादक के वर्चस्व से मुक्त किया है .एक क्लिक के साथ आप दुनिया भर में पहंच जाते
हैं .अखबार इन्टरनल फ्लाईट है ब्लोगिंग अंतर -राष्ट्रीय उड़ान फिर नशा तो होगा ही अलबत्ता यह नशा सात्विक
है .पर ज्यादा न पी जाए यह मय भी .बढ़िया पोस्ट है शास्त्री जी की .
आपकी इस बात से सहमत हूँ की ब्लोगिंग एक आदत है और मेरा भी मानना यही है की इंसान जो भी काम करता है वो उसकी आदत का ही एक हिस्सा है वो अपनी आदतों से इस कदर जुड़ा हुआ है की अगर वो इसे न करे तो उसे कुछ छूटता सा लगता है फिर वो चाहे ब्लॉग हो या कोई और चीज़ | अच्छा लेख |
जवाब देंहटाएंब्लागिंग में प्रतिक्रिया शीघ्र मिलती है, इसलिए यहाँ लेखन बहुआयामी हो जाता है। लेकिन कई विवाद भी उग्र हो जाते हैं, वह लेखन के लिए उचित नहीं हैं।
जवाब देंहटाएं