नद-नालों, सरिताओँ को भी,
जो
खुश होकर अंग लगाती।
धरती
की जो प्यास बुझाती,
वो
पावन गंगा कहलाती।।
आड़े-तिरछे
और नुकीले,
पाषाणों
को तराशती है।
पर्वत
से मैदानों तक जो,
अपना
पथ खुद तलाशती है।
गोमुख
से सागर तक जाती।
वो
पावन गंगा कहलाती।।
फसलों
को नवजीवन देती,
पुरखों
का भी तर्पण करती।
मैल
हटाती-स्वच्छ बनाती,
मन
का निर्मल दर्पण करती।
कल-कल,
छल-छल नाद सुनाती।
वो
पावन गंगा कहलाती।।
चलना
ही जीवन होता है
जो
रुकता है वो सड़ जाता,
जो
पत्रक नहीं लहराता है,
वो
पीला पड़कर झड़ जाता।
चरैवेति
सन्देश सिखाती।
वो
पावन गंगा कहलाती।।
मैला
और विषैला पानी,
गंगा
में अब नहीं बहाओ।
समझो
अपनी जिम्मेदारी,
गंगा
का अस्तित्व बचाओ।
जो
अपने पुरखों की थाती।
वो
पावन गंगा कहलाती।।
|
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सोमवार, 22 अक्टूबर 2012
"गंगा का अस्तित्व बचाओ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मसला गंभीर है,
जवाब देंहटाएंउसी गंभीरता से आपने विषय को उठाया भी
चलना ही जीवन होता है
जो रुकता है वो सड़ जाता,
जो पत्रक नहीं लहराता है,
वो पीला पड़कर झड़ जाता।
चरैवेति सन्देश सिखाती।
वो पावन गंगा कहलाती।।
बहुत सुंदर
बिल्कुल सही चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सन्देश परक शिक्षा प्रद कविता जब तक जनजागरण नहीं होगा गंगा का अस्तित्व यूँ ही खतरे में पड़ता रहेगा बहुत बहुत बधाई शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया , आप तो किसी भी विषय पर धारा प्रवाह गीत लिख सकते हैं ..आपको भी दुर्गाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंगंगा की रक्षा एक संस्कृति की रक्षा है।
जवाब देंहटाएंजय माँ |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
गंगाकी स्थिति बेहद खराब है. काश कि आपके मनोभावों से हम लोग सबक ले सकें.
जवाब देंहटाएंये प्रयास तो बहुत जल्द होना चाहिए बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति.सार्थक प्रस्तुति हेतु साधुवाद
जवाब देंहटाएंदुर्गा अष्टमी की सभी को हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुन्दर गीत ...
जवाब देंहटाएंबस आपकी पुकार सुन् ली जय...
सादर
अनु
जवाब देंहटाएंनद-नालों, सरिताओँ को भी,
जो खुश होकर अंग लगाती।
धरती की जो प्यास बुझाती,
वो पावन गंगा कहलाती।।
चिंता इस दौर में यह है अब गंगा मैली ही नहीं ज़हरीली हो गई है कैंसर रोग समूहों की वजह बन रहा है गंगा जल .गंगा किनारे बसेरा करने वाले इस रोग समूह की चपेट में हैं .
'भारत की संस्कृति'की पहँचान है गंगा |
जवाब देंहटाएंदेश का जीवन है,जान है गंगा ||
बहुत सुन्दर शब्द गंगा के बारे में.
जवाब देंहटाएंहम सब अपनी जिम्मेदारी समझे !
जवाब देंहटाएंसार्थक आह्वान !
सार्थकता लिये सशक्त अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसही में एक सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं