जब-जब दर्पण को देखा है, उसमें रूप तुम्हारा पाया। जीवन के हर दोराहे पर, तुमको साथ हमेशा पाया।। कभी मनाया हमने तुमको, कभी मनाया तुमने हमको, स्नेहभरा इक दीप जलाकर हटा दिया जीवन के तम को, अथक परिश्रम करके तुमने निर्धनता को दूर भगाया। जीवन के हर दोराहे पर, तुमको साथ हमेशा पाया।। तुम भी तो पहले जैसी हो, हम भी तो पहले जैसे हैं, पहले थे दोनो थे लोहे से, लेकिन अब चांदी जैसे हैं, केश पक गये और झर गये, लेकिन है कंचन सी काया। जीवन के हर दोराहे पर, तुमको साथ हमेशा पाया।। जितने सपने देखे हमने, वो सारे साकार हो गये, दो से हुए चार बढ़ करके, अब तो दो भी चार हो गये, दादी-दादा बन करके अब, बचपन लौट हमारा आया। जीवन के हर दोराहे पर, तुमको साथ हमेशा पाया।। आज तुम्हारे जन्मदिवस पर, देता हूँ उपहार सलोना, जीवन के इस कालचक्र में, धीरज कभी न अपना खोना, अजर-अमर जो कहलाता है, उसी प्यार को मैं हूँ लाया। जीवन के हर दोराहे पर, तुमको साथ हमेशा पाया।। |
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शुक्रवार, 30 सितंबर 2011
"जन्मदिन-उपहार सलोना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
गुरुवार, 29 सितंबर 2011
"होठों को फिर भी, सिये जा रहें हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
![]() घुटन और सड़न में जिए जा रहे हैं, जहर वेदना के पिये जा रहे हैं। फकत नाम की है यहाँ राष्ट्र-भाषा, चढ़ी है जुबाँ पर यहाँ आंग्ल-भाषा, सभी काम इसमें किये जा रहे हैं। चुनावों में हिन्दी ध्वजा गाड़ते हैं, संसद में अंग्रेजियत झाड़ते हैं, ये सन्ताप माँ को दिये जा रहे हैं। जिह्वा कलम कर विदेशों में जाते, ये हिन्दी को नीचा हमेशा दिखाते, ये नौका भँवर में लिए जा रहे हैं। भारत की जो जान, दिल और जिगर है सन्तों की वाणी अमर है अजर है, ये होठों को फिर भी, सिये जा रहें हैं। |
बुधवार, 28 सितंबर 2011
"दया करो हे दुर्गा माता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
तुमको सच्चे मन से ध्याता। दया करो हे दुर्गा माता।। ![]() व्रत-पूजन में दीप-धूप हैं, नवदुर्गा के नवम् रूप हैं, मैं देवी का हूँ उद् गाता। दया करो हे दुर्गा माता।। प्रथम दिवस पर शैलवासिनी, शैलपुत्री हैं दुख विनाशिनी, सन्तति का माता से नाता। दया करो हे दुर्गा माता।। देवी तुम हो मंगलकारिणी, निर्मल रूप आपका भाता। दया करो हे दुर्गा माता।। बनी चन्द्रघंटा तीजे दिन, मन्दिर में रहती हो पल-छिन, सुख-वैभव तुमसे है आता। दया करो हे दुर्गा माता।। कूष्माण्डा रूप तुम्हारा, भक्तों को लगता है प्यारा, पूजा से संकट मिट जाता। दया करो हे दुर्गा माता।। पंचम दिन में स्कन्दमाता, मोक्षद्वार खोलो जगमाता, भव-बन्धन को काटो माता। दया करो हे दुर्गा माता।। कात्यायनी बसी जन-जन में, आशा चक्र जगाओ मन में, भजन आपका मैं हूँ गाता। दया करो हे दुर्गा माता।। ![]() कालरात्रि की शक्ति असीमित, ध्यान लगाता तेरा नियमित, तव चरणों में शीश नवाता। दया करो हे दुर्गा माता।। महागौरी का है आराधन, कर देता सबका निर्मल मन, जयकारे को रोज लगाता। दया करो हे दुर्गा माता।। ![]() सिद्धिदात्री हो तुम कल्याणी सबको दो कल्याणी-वाणी। मैं बालक हूँ तुम हो माता। दया करो हे दुर्गा माता।। |