-- आँचल में प्यार लेकर, भीनी फुहार लेकर. आई होली, आई होली, आई होली रे! भीनी फुहार लेकर. आई होली, आई होली, आई होली रे! -- चटक रही सेंमल की कलियाँ, चलती मस्त बयारे। मटक रही हैं मन की गलियाँ, बजते ढोल नगारे। निर्मल रसधार लेकर, फूलों के हार लेकर, आई होली, आई होली, आई होली रे! -- मीठे सुर में बोल रही है, बागों में कोयलिया। कानों में रस घोल रही है, कान्हा की बाँसुरिया। रंगों की धार लेकर, अभिनव शृंगार लेकर, आई होली, आई होली, आई होली रे! -- लहराती खेतों में फसलें, तन-मन है लहराया. वासन्ती परिधान पहनकर, खिलता फागुन आया, महकी मनुहार लेकर, गुझिया उपहार लेकर, आई होली, आई होली, आई होली रे! -- |
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मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023
गीत "खिलता फागुन आया-आई होली रे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गुरुवार, 25 मार्च 2021
होलीगीत "आई होली, आई होली रे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020
गीत "आई होली रे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आँचल में प्यार लेकर,
भीनी फुहार लेकर.
आई होली, आई होली,
आई होली रे!
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चटक रही सेंमल की कलियाँ,
चलती मस्त बयारे।
मटक रही हैं मन की गलियाँ,
बजते ढोल नगारे।
निर्मल रसधार लेकर,
फूलों के हार लेकर,
आई होली, आई होली,आई होली रे!
--
मीठे सुर में बोल रही है,
बागों में कोयलिया।
कानों में रस घोल रही है,
कान्हा की बाँसुरिया।
रंगों की धार लेकर,
अभिनव शृंगार लेकर,
आई होली, आई होली, आई होली रे!
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लहराती खेतों में फसलें,
तन-मन है लहराया.
वासन्ती परिधान पहनकर,
खिलता फागुन आया,
महकी मनुहार लेकर,
गुझिया उपहार लेकर,
आई होली, आई होली, आई होली रे!
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