-- कितना अद्भुत है यहाँ, रिश्तों का संसार। जीवन जीने के लिए, रिश्ते हैं आधार।१। -- केवल भारत देश में, रिश्तों का सम्मान। रक्षाबन्धन पर्व की, अलग अनोखी शान।२। -- कच्चे धागों से बँधी, रक्षा की पतवार। रोली-अक्षत-तिलक में, छिपा हुआ है प्यार।३। -- भाई की लम्बी उमर, ईश्वर करो प्रदान। बहनें भाई के लिए, माँग रहीं वरदान।४। -- सदा बहन की मदद को, भइया हों तैयार। रक्षा का यह सूत्र है, राखी का उपहार।५। -- चाहे युग बदलें भले, बदल जाय संसार। अमर रहेगा हमेशा, यह पावन त्यौहार।६। -- राखी के ही तार में, छिपी हुई है प्रीत। जब तक चन्दा-सूर हैं, अमर रहेगी रीत।७। -- राखी के दिन किसी का, सूना रहे न हाथ। प्रेम-प्रीत की रीत का, छूटे कभी न साथ।८। -- रेशम-जरी-कपास के, रंग-बिरंगे तार। ले करके बहना चली, अब बाबुल के द्वार।९। -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 20 अगस्त 2024
दोहे "रंग-बिरंगे तार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बुधवार, 17 अगस्त 2016
दोहे "रंग-बिरंगे तार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कितना अद्भुत है यहाँ, रिश्तों का संसार।
जीवन जीने के लिए, रिश्ते हैं आधार।१।
--
केवल भारत देश में, रिश्तों का सम्मान।
रक्षाबन्धन पर्व की, अलग अनोखी शान।२।
--
कच्चे धागों से बँधी, रक्षा की पतवार।
रोली-अक्षत-तिलक में, छिपा हुआ है प्यार।३।
--
भाई की लम्बी उमर, ईश्वर करो प्रदान।
बहनें भाई के लिए, माँग रहीं वरदान।४।
--
सदा बहन की मदद को, भइया हों तैयार।
रक्षा का यह सूत्र है, राखी का उपहार।५।
--
चाहे युग बदलें भले, बदल जाय संसार।
अमर रहेगा हमेशा, यह पावन त्यौहार।६।
--
राखी के ही तार में, छिपी हुई है प्रीत।
जब तक चन्दा-सूर हैं, अमर रहेगी रीत।७।
--
राखी के दिन किसी का, सूना रहे न हाथ।
प्रेम-प्रीत की रीत का, छूटे कभी न साथ।८।
--
रेशम-जरी-कपास के, रंग-बिरंगे तार।
ले करके बहना चली, अब बाबुल के द्वार।९।
|
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...