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साँसें धोखा दे जाती हैं,
साँसों पर विश्वास न करना।
सपने होते हैं हरजाई,
सपनों से कुछ आस न करना।।
जो कर्कश सुर में चिल्लाते,
उनको काग पुकारा जाता।
जो खग मधुर गान को गाते,
उनका स्वर कलरव कहलाता।
हृदयहीन धनवान व्यक्ति से,
कभी कोई अरदास न करना।
सपने होते हैं हरजाई,
सपनों से कुछ आस न करना।।
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पर्वत की छाती से निकले,
कुछ झरने बन जाते गंगा।
पाक-साफ वो ही कहलाते,
जिनका तन-मन होता चंगा।
जोड़-तोड़ करके शब्दों की,
गीतों का विन्यास न करना।
सपने होते हैं हरजाई,
सपनों से कुछ आस न करना।।
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पल-पल जिनके बोल बदलते,
वो क्या जाने सुख-दुख सहना।
विद्या के जो बैल बने हैं,
उनको अध्यापक मत कहना।
देख जमाने की हालत को,
मन को कभी उदास न करना।।
सपने होते हैं हरजाई,
सपनों से कुछ आस न करना।।
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जब से ज्ञानी मौन हो गये,
अज्ञानी वाचाल हो गये।
धनवानों के बन्दीघर में,
पढ़े-लिखे बदहाल हो गये।
जनसेवक के दर पर जाकर,
सत्य कभी उद्भाष न करना।
सपने होते हैं हरजाई,
सपनों से कुछ आस न करना।।
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सोमवार, 17 फ़रवरी 2020
गीत "मन को कभी उदास न करना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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