भीम राव अम्बेदकर, नमन तुम्हें शत् बार।। -- पढ़ने-लिखने का सदा, मन में रहा जुनून। भारत को तुमने दिया, उपयोगी कानून।। -- निर्धनता को देखकर, कभी न मानी हार। जीवनभर करते रहे, दलितों का उद्धार।। -- करते माया के लिए, राजनीति का काम। तुमको करते कापुरुष, दुनिया में बदनाम।। -- न्यायालय में न्याय हो, सबके लिए समान। भेद-भाव जिसमें नहीं, ऐसा रचा विधान।। -- |
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मंगलवार, 13 अप्रैल 2021
दोहे "भीम राव अम्बेदकर, नमन तुम्हें शत् बार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
गीत "जनमानस के अन्तस में आशाएँ मुस्काती हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जनमानस के अन्तस में तब, आशाएँ मुस्काती हैं।। -- सोंधी-सोंधी महक उड़ रही, गाँवों के गलियारों में, खुशियों की भरमार हो रही, आँगन में, चौबारों में, बैसाखी आने पर रौनक, चेहरों पर आ जाती हैं। जनमानस के अन्तस में तब, आशाएँ मुस्काती हैं।। -- सूरज पर यौवन आया है, शीतलता का अन्त हुआ, उपवन-कानन खिला हुआ है, चारों ओर बसन्त हुआ, झूम-झूमकर नवकोपलियाँ, मन्द समीर बहाती हैं। जनमानस के अन्तस में तब, आशाएँ मुस्काती हैं।। -- हँसतीं हैं बुराँश की कलियाँ, काफल “रूप” दिखाता है, सुन्दर पंख हिलाती तितली, भँवरा राग सुनाता है शुक-कोकिल मस्ती में भरकर, अपने सुर में गाती हैं। जनमानस के अन्तस में तब, आशाएँ मुस्काती हैं।। -- आम-नीम बौराये फिर से, जामुन भी बौराया है, मधुमक्खी ने अपना छत्ता, फिर से नया बनाया है, नीड़ बनाने को चिड़ियाएँ, तिनके चुन-चुन लाती हैं। जनमानस के अन्तस में तब, आशाएँ मुस्काती हैं।। -- |
दोहे "भारतीय नववर्ष" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
--नवसम्वत्सर
आ गया, गया पुराना साल। |
सोमवार, 12 अप्रैल 2021
दोहे "खान-पान में शुद्धता, सिखलाते नवरात्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
करिये नियम-विधान से, नौ दिन तक उपवास। जगदम्बा माँ आपकी, पूर्ण करेंगी आस।। -- शुद्ध आचरण में रहे, उज्जवल चित्र-चरित्र। प्रतिदिन तन के साथ में, मन को करो पवित्र।। शाकाहारी मनुज ही, पूजा के हैं पात्र। खान-पान में शुद्धता, सिखलाते नवरात्र।। -- माता के नवरात्र हों, या हो कोई पर्व। अपने-अपने पर्व पर, होता सबको गर्व।। -- त्यौहारों की शृंखला, बना सुखद संयोग। मस्ती में उल्लास में, झूम रहे हैं लोग।। -- मत-मजहब का भूल से, मत करना उपहास। होता इनके मूल में, छिपा हुआ इतिहास।। -- त्यौहारों के नाम पर, लोक-दिखावा मात्र। पाश्चात्य परिवेश में, गुम हो गये सुपात्र।। -- करते पाठन-पठन को, विद्यालय में छात्र।। सफल वही होते सदा, जो होते हैं पात्र।। -- |
रविवार, 11 अप्रैल 2021
कार यात्रा ♥ फोटोफीचर ♥ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
चल पड़े हैं हम सफर में, कैमरा ले हाथ में। कैद करने को नजारे, हमसफर है साथ में।। राह में हमको दिखाई दे गये, फलदार ठेले। रोक करके कार को क्रय कर लिए अंगूर-केले।। लाडली प्राची इन्हें खाती बड़े ही चाव से। आ गये बाबा हमारे शहर, अपने गाँव से।। पुत्र ने स्वागत किया, आशीष हमने भी दिया। संगिनी के साथ में, जलपान भी जमकर किया।। साथ सब बैठे हुए हैं, प्यार ही परिवार है। चार दिन की ज़िन्दगी में, प्यार ही आधार है।। अब चले हम अपने घर को, राह में थे सुन्दर नज़ारे श्रीमती जी ने इन्हें कैमरे में कैद करती चली गयीं। अरे! यह तो ज़ॉलीग्रांट एयरपोर्ट है! बस अब ऋषिकेश आने ही वाला है। यहाँ जंगल भी कितना सुन्दर है! सूखे पत्ते गिर गये हैं और पेड़ों ने नये पल्लव पा लिये हैं। सुबह-सुबह सड़क पर इक्का-दुग्गा वाहन भी दिखाई दे रहे हैं। अरे यह तो चन्द्रभागा नदी है। जो 10 महीने सूखी रहती है। अब हम ऋषिकेश आ गये हैं। हमारे साथ में रहे आयोग के पूर्व सदस्य मदनलाल जाटव के घर भी तो जाना है। सामने फल की दूकान है, कुछ फल भी तो खरीदने हैं! त्रिवेणीघाट ऋषिकेश में फूलों की दुकानें सजी हुई हैं। चलो हम भी गंगाजल से आचमन कर लेते हैं। माँ भागीरथी का तटबन्ध कितना सुन्दर है। श्रीमती जी ने तो गंगाजल से आचमन कर लिया है। चलो अब हम भी जलाभिषेक कर लेते हैं। अरे यहाँ तो काले रंग का नन्दी भी आराम कर रहा है। आओ अब वापिस चलते हैं। यहाँ से घर के लिए प्रसाद भी तो लेना है! बाजार में चहल-पहल बढ़ने लगी है। मदन लाल जाटव की दुकान आ गई है। हमने अपनी कार रोक दी और उनकी दुकान पर जा धमके। दो मित्रों का मिलन बड़ा सुखद रहा। श्रीमती जी यह दृश्य देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रही हैं। कितनी सजी-धजी है इनकी दुकान। अरे जाटव जी को अपनी किताबें भी तो भेंट करनी हैं। पिता-पुत्र हमको भावभीनी विदाई देते हुए। अब हम चले हरिद्वार की ओर- हर की पौड़ी का विहंगम दृश्य। यहाँ से तो माता मनसा देवी का मन्दिर भी दिखाई दे रहा है। दूसरी ओर माँ चण्डी देवी का भी मन्दिर है- और यह है गंगा नदी पर बना लम्बा और विशाल पुल! यहाँ से तो चण्डी देवी का मन्दिर साफ नजर आ रहा है। अब हम माँ चण्डी देवी के उड़नखटोले के पास ही पहुँचनेवाले हैं। और यहाँ से उड़खटोले पर सवार हुआ जाता है। माँ चण्डी देवी के दरबार में जाने के लिए! यह है श्यामपुर-काँगड़ी में बने मनोरम मन्दिरों की झलक। अरे! अब तो कैमरे की बैटरी लो हो गई है। शेष अगली यात्रा में ... |