दावे करते हैं सभी, बदलेंगे तकदीर। अपनी रोटी सेंकते, राजा और फकीर।१। झपट लिया है राम ने, अन्ना जी का पक्ष। राजनीति के खेल में, स्वामी निकले दक्ष।२। जिसको सर्वसमाज का, मिला हुआ हो साथ। लोकतन्त्र परिवेश में, विजय उसी के हाथ।३। मुखिया की चलती नहीं, सबके भिन्न विचार। ऐसा घर कैसे चले, जिसमें सब सरदार।४। अनशन होता सफल वो, जिसका हो आधार। लोकतन्त्र के सामने, झुक जाती सरकार।५। |
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शनिवार, 11 अगस्त 2012
"दोहे-बदलेंगे तकदीर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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bahut hi sateek aur sarthak dohe ! aabhar
जवाब देंहटाएंसर झुकता है हृदय से, श्रद्धा सह विश्वास |
जवाब देंहटाएंचारित्रिक उत्कृष्टता, होवें लक्षण ख़ास |
होवें लक्षण ख़ास, आज दुश्चिंता दीखे |
लाभ हानि का खेल, सतत यह दुनिया सीखे |
कार-बार सर कार, धार से बदला करते |
महत्वकांक्षा प्यार, मौत वे अपनी मरते ||
सरकारों को अब इनके काम गीदड़ भभकी लगने लगे हैं
जवाब देंहटाएंमुखिया की चलती नहीं, सबके भिन्न विचार।
जवाब देंहटाएंऐसा घर कैसे चले, जिसमें सब सरदार।४।
....बिलकुल सही कहा आपने ....
सुन्दर प्रस्तुति
ऐसा कभी होगा लगता तो नहीं हैं ....सटीक दोहे
जवाब देंहटाएंसार्थक सटीक दोहे..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सटीक दोहे , बहुत शानदार रचना /बहुत बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है /चार महीने बाद फिर में आप सबके साथ हूँ /जरुर पधारिये /
मुखिया की चलती नहीं, सबके भिन्न विचार।
जवाब देंहटाएंऐसा घर कैसे चले, जिसमें सब सरदार।
आपने सही कहा ,,,,सटीक दोहे,,,,,
SATEEK AUR SAMKAALEEN DOHE.. BAHUT SUNDAR
जवाब देंहटाएंnice .प्रोन्नति में आरक्षण :सरकार झुकना छोड़े
जवाब देंहटाएंआज के संदर्भ में लिखे ये दोहे अच्छे लगे।
जवाब देंहटाएंमुखिया की चलती नहीं, सबके भिन्न विचार।
जवाब देंहटाएंऐसा घर कैसे चले, जिसमें सब सरदार।४।
सटाक सटाक करते दोहे
सुंदर दोहे और सटीक दोहे !!
सटीक दोहे.
जवाब देंहटाएंमुखिया की चलती नहीं, सबके भिन्न विचार।
जवाब देंहटाएंऐसा घर कैसे चले, जिसमें सब सरदार।
समसामयिक दोहे ....सटीक
बहुत अच्छे दोहे ----पर ये सरकार कुछ ज्यादा अकड़ गई है लगता नहीं की झुकेगी ------बढ़िया सामयिक दोहे
जवाब देंहटाएंप्रभावी दोहे..
जवाब देंहटाएं