शब्दों के मौन निमन्त्रण से, बिन डोर खिचें सब आते हैं। मुद्दत से टूटे रिश्ते भी, सम्बन्धों में बंध जाते हैं।। इनके बिन बात अधूरी है, नजदीकी में भी दूरी है, दुनिया दारी में पड़ करके, बतियाना बहुत जरूरी है, मकड़ी के नाजुक जालों में, बलवान सिंह फंद जाते हैं। मुद्दत से टूटे रिश्ते भी, सम्बन्धों में बंध जाते हैं।। पशु-पक्षी और संगी-साथी, शब्दों से मन को भरमाते, तीखे शब्दों से मीत सभी, पल भर में दुश्मन बन जाते, पहले तोलो, फिर कुछ बोलो, स्वर मधुर छन्द बन जाते हैं। मुद्दत से टूटे रिश्ते भी, सम्बन्धों में बंध जाते हैं।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 28 अगस्त 2012
"स्वर मधुर छन्द बन जाते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
क्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, बहुत सुंदर
पहले तोलो, फिर कुछ बोलो,
जवाब देंहटाएंस्वर मधुर छन्द बन जाते हैं।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
हमेशा की भांति खूबसूरत अहसास ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना ....
जवाब देंहटाएंहमेशा की भांति खूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशब्दों के मौन निमन्त्रण से,
जवाब देंहटाएंबिन डोर खिचें सब आते हैं।
मुद्दत से टूटे रिश्ते भी,
सम्बन्धों में बंध जाते हैं।।
सभी इनाम प्राप्त ब्लोगर बंधुओं ,बांध्वियों को मुबारक बाद .पूरा ब्लॉग जगत हर्षित है आज .हम भी गौरवान्वित हुए ,मंशा यही है परस्पर हुश हुश कर एक दूजे पे स्वान उकसाना छोड़ें ,ब्लोगिंग को एक परिवर्तन कामी सशक्त माध्यम के रूप में लें,आपके सामाजिक सरोकार इस हुश हुश से बहुत ऊपर और जन उपयोगीं हैं हुश हुश कर स्वानों को उकसाने वाले संसद को ही शोभा देतें हैं ब्लॉग जगत को नहीं .
पुनश्च :बधाई बधाई बधाई !
पशु-पक्षी और संगी-साथी,
जवाब देंहटाएंशब्दों से मन को भरमाते,
तीखे शब्दों से मीत सभी,
पल भर में दुश्मन बन जाते,
पहले तोलो, फिर कुछ बोलो,
स्वर मधुर छन्द बन जाते हैं।
बहुत सुन्दर बोध प्रदाई गीत .मीठी वाणी बोलिए मन का आपा खोय ,औरन को शीटर करे ,आपहु शीतल होय का मर्म है रचना में सन्देश भी सकारात्मक है .गीत कार की हैसियत से यूं ही शिखर पे टीके रहें -
सितारों से आगे जहां और भी है ,तेरे सामने इम्तिहान और भी हैं (अभी इश्क के इम्तिहान और भी हैं ).
संबंधों को सुधारने के लिये सदा प्रयासरत रहना चाहिये।
जवाब देंहटाएंबहुत मनभावन गीत।
जवाब देंहटाएंशब्दों और बातो की सावधानी के महत्त्व को अपनी प्रस्तुति के जरिये क्या खूब समझाया है,.......शास्त्री जी!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएं.......बहुत बढ़िया!..............
शब्दों और बातो की सावधानी के महत्त्व को अपनी प्रस्तुति के जरिये क्या खूब समझाया है,.......शास्त्री जी!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएं.......बहुत बढ़िया!..............
पहले तोलो, फिर कुछ बोलो,
जवाब देंहटाएंस्वर मधुर छन्द बन जाते हैं।ekdam sachchi baat sir....
बिन शब्दों के जीवन रसहीन है ..ये शब्द ही हैं जो कविता में चार चाँद लगा रहे हैं ..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर प्रभावशाली कविता ..
शब्दों की महिमा ही अपार है...
जवाब देंहटाएं