बहन रेखा श्रीवास्तव ने यह बालगीत मुझे मेल से भेजा है। उन्होंने इच्छा प्रकट की थी कि इसे मैं "नन्हे सुमन" ब्लॉग पर लगाऊँ। लेकिन उच्चारण पर यातायात अधिक है। इसलिए मैं इसे यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ। माँ मुझको तू दे दे तिरंगा, अब मैं भी सीमा पर जाऊँगा। दुश्मन को मैं खोज खोज कर, प्रेम औ' शांति का पाठ पढ़ाऊँगा। शांति - प्रेम का पाठ पढ़ाकर, मिल-जुल कर रहना सिखाऊँगा। दोस्त बने वे अगर प्रेम से, उनको अपने गले लगाऊँगा। दुश्मन बनकर रहना चाहें तो, बन्दूक की भाषा समझाऊंगा। माँ मुझको तू दे दे तिरंगा, अब मैं भी सीमा पर जाऊँगा। रेखा श्रीवास्तव इनके ब्लॉग हैं- http://kriwija.blogspot.com/ http://hindigen.blogspot.com/ http://rekha-srivastava. http://merasarokar.blogspot. http://katha-saagar.blogspot. |
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सोमवार, 13 अगस्त 2012
"बालगीत" (रेखा श्रीवास्तव)
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Sundar evam prerak kavita.
जवाब देंहटाएं............
कितनी बदल रही है हिन्दी !
सुन्दर बालगीत |
जवाब देंहटाएंबधाई रेखा जी को ||
प्रेरक बालगीत,,,
जवाब देंहटाएंरेखाजी को इस रचना के लिए बहुत२ बधाई,,,,,,
स्वतंत्रता दिवस बहुत२ बधाई,एवं शुभकामनाए,,,,,
बहुत ही सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंसुंदर व प्रेरक बाल गीत !
जवाब देंहटाएंसाभार !
बहुत ही सुन्दर बालगीत....
जवाब देंहटाएंप्रेरक और सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिखी हैं आंटी!
जवाब देंहटाएंसादर
उत्कृष्ट कोटि का बाल गीत।
जवाब देंहटाएंbahut hee sundar baal geet!
जवाब देंहटाएंrekhajee bahut achcha likhi hain.....
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत ही प्रेरक और शानदार बालगीत रेखा जी को बधाई
जवाब देंहटाएं