माँ मुझको ताकत देना, कुछ अभिनव छन्द बनाने की। आज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।। आँखे करके बन्द चमन के माली अलसाये हैं, नौनिहाल पादप जीवन बगिया में मुरझाये हैं, आज जरूरत है धरती में, शौर्य बीज उपजाने की। आज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।। मँहगाई की चक्की में, निर्धन जन पिसते जाते हैं, ढोंगी सन्त-महन्त मजे से, चन्दन घिसते जाते हैं, आज जरूरत रावण से, सीता की लाज बचाने की। आज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।। राम-कृष्ण की मर्यादा का ध्यान हमें धरना है, दानव और दुर्दान्त-द्रोहियों का मर्दन करना है, आज जरूरत है प्रताप जैसे तेवर अपनाने की। आज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।। |
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रविवार, 26 अगस्त 2012
"आज जरूरत है धरती में, शौर्य बीज उपजाने की" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 27-08-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-984 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
सार्थक बात कहती रचना ...!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें शास्त्री जी ..!!
सदा की तरह सार्थक और ओज से पूरित | सादर |
जवाब देंहटाएंनायकों से प्रेरणा लें हम सब..
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति महाराण प्रताप की जीवनी पर
जवाब देंहटाएंयूनिक तकनीकी ब्लाग
बहुत सुंदर जोश भरी पंक्तियाँ....
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन ...
जवाब देंहटाएंvicharniy prastuti.aabhar तुम मुझको क्या दे पाओगे?
जवाब देंहटाएंअद्भुत!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंजैनेटिकेली मौडीफाईड बीज बना ले जायेगा
आदमी के दिमाग में अगर आ जायेगा !
gyaan beej kaisaa rahegaa!!
जवाब देंहटाएंbahot achchi lagi.....
जवाब देंहटाएंमाँ मुझको ताकत देना, कुछ अभिनव छन्द बनाने की।
जवाब देंहटाएंआज जरूरत है जन-जन के सोये सुमन जगाने की।।
Very inspiring lines..
जवाब देंहटाएंप्रताप के स्मरण पर शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर गीत...
जवाब देंहटाएं