जीवन ! दो चक्र कभी सरल कभी वक्र, -- जीवन ! दो रूप कभी छाँव कभी धूप -- जीवन! दो रुख कभी सुख कभी दुःख -- जीवन ! दो चक्र कभी सरल कभी वक्र, -- जीवन ! दो रूप कभी छाँव कभी धूप -- जीवन! दो रुख कभी सुख कभी दुःख -- जीवन ! दो खेल कभी जुदाई कभी मेल -- जीवन ! दो ढंग कभी दोस्ती कभी जंग -- जीवन ! दो आस कभी तम कभी प्रकाश -- जीवन ! दो सार कभी नफरत कभी प्यार |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शनिवार, 18 अगस्त 2012
"जीवन के चित्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
वाह कितनी सहजता से जीवन को परिभाषित कर दिया।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya...
जवाब देंहटाएंजीवन एक राज ,
जवाब देंहटाएंकभी (कोई)कबूतर ,कभी (कोई )बाज़ ,
jivan ki paribhasha ko sarthak karti hui post
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन जीवन को परिभाषित
जवाब देंहटाएंकरती रचना......
उत्तम .....
:-)
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजीवन के विविध रूपों का सुंदर चित्रण
जवाब देंहटाएंजीवन के कई रंग है न जाने कितने रूप
जवाब देंहटाएंएकरूप जीवन मरण,कभी छाँव कभी धुप,,,,
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,,
जीवन को सहजता से परिभाषित करती रचना......
जवाब देंहटाएंआज शामको इसे पढ़ा था। अभी एक बार फिर पढ़ रहा हूँ। बहुत ही बढ़िया तरीके से अपने अपनी बात कहीं है। मेरी दृष्टि में यह कविता का सुन्दर प्रतिदर्श है। बधाई आपको बौत - बहुत।
जवाब देंहटाएंक्षणिका
एक क्षण
कभी स्मरण
कभी विस्मरण
बहुत ही सुंदर चित्र खींचे हैं आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएंलगे हाथ आपको बता दूं कि ब्लॉगर्स के नाम महामहिम राज्यपाल जी का संदेश आया है। क्या पढ़ा आपने?
एक जीवन - कितनी दृष्टियाँ !
जवाब देंहटाएंजीवन को देखा, समझा और खूब समझाया।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंसीधी सरल रचना...काश के ऐसा ही होता जीवन भी.....
सादर
अनु
जीवन का सार ! बहुत अच्छा लगा जीवन के अनेक रूप पढ़ना।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,,
जवाब देंहटाएंजीवन के विभिन्न रूपों का इतना सुन्दर वर्णन चित्र भी मन मुग्ध कर गया हार्दिक बधाई आपको
जवाब देंहटाएंद्वन्द्व भरा यह जीवन साधो..
जवाब देंहटाएंखूबसूरती से काही जीवन की बात ...
जवाब देंहटाएं