धूप और बारिश से, जो हमको हैं सदा बचाते। छाया देने वाले ही तो, कहलाए जाते हैं छाते।। आसमान में जब घन छाते, तब ये हाथों में हैं आते। रंग-बिरंगे छाते ही तो, हम बच्चों के मन को भाते।। तभी अचानक आसमान से, मोटी-मोटी बूँदें आई। प्रांजल ने उतार खूँटी से, छतरी खोली और लगाई।। प्राची ने जैसे ही देखा, भइया छतरी ले आया है। उसने भी प्यारा सा छाता, अपने सिर पर फैलाया है।। कई दिनों में वर्षा आई, जाग गई मन में उमंग हैं। भाई-बहन दोनों ही खुश हैं, दो छातों के अलग रंग हैं।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
रविवार, 5 अगस्त 2012
"छाया देने वाले ही तो, कहलाए जाते हैं छाते" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
खुबसूरत बाल रचना |
जवाब देंहटाएंआभार आपका ||
छाते की महत्ता बताती सुंदर सी बाल कविता !
जवाब देंहटाएंसादर !
रंग बिरंगे छाते सी रंग बिखेरती रचना..!:-)
जवाब देंहटाएंसादर !!!
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 06-08-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-963 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
तकरीबन एक हफ्ते बाहर होने व अति व्यस्तता के कारन आभासी दुनिया से लगभग कटा रहा , सुन्दर दैनिक कृतियों से रूबरू नहीं हो सका .....माफ़ी चाहते हैं सर ! मित्रता दिवस की शुभ कामनाएं ......खुबसूरत बाल रचना, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बाल कविता..
जवाब देंहटाएंवाह ... कमाल की बाल रचना ... छाते के अनोखे रंग और निराले ढंग ...
जवाब देंहटाएंभारी बारिश और धुप में , छाता सदा सुहाता
जवाब देंहटाएंखुद बारिश में भीग कर,औरों को सदा बचाता,,,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
वाह ये रंगीन छाते वाली कविता भा घई मन को ।
जवाब देंहटाएंbadhiya kavita and pranjal aur prachi bhee ache lag rhey hain!
जवाब देंहटाएंलेकिन यहां तो बरसात ही नहीं है। अब क्या करें? लेकिन आपने बहुत अच्छी कविता बनायी है।
जवाब देंहटाएंसहज ढंग से लिखी गयी बाल कविता , अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंram ram bhai
जवाब देंहटाएंसोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से